________________ 568] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [112 प्र.] भगवन् ! वह जमालि देव उस देवलोक से आयु क्षय होने पर यावत् कहाँ उत्पन्न होगा? [112 उ.] गौतम ! तिर्यञ्च योनिक, मनुष्य और देव के पांच भव ग्रहण करके और इतना संसार-परिभ्रमण करके तत्पश्चात् वह सिद्ध होगा, बुद्ध होगा यावत् सर्वदुःखों का अन्त करेगा। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यों कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरण करने लगे। विवेचन--जमालि को परम्परा से सिद्धिगति-प्राप्ति- प्रस्तुत सु. 112 में जमालि के भविष्य के विषय में पूछे जाने पर भगवान् ने भविष्य में तिर्यञ्च, मनुष्य और देव के 5 भव ग्रहण करने के पश्चात् सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होने का कथन किया है।' शंका-समाधान-यहाँ शंका उपस्थित होती है कि भगवान् सर्वज्ञ थे और जमालि के भविष्य में प्रत्यनीक होने की घटना को जानते थे, फिर भी उसे क्यों प्रवजित किया? इसका समाधान वत्तिकार इस प्रकार करते हैं-अवश्यम्भावी भवितव्य को महापुरुष भी टाल नहीं सकते अथवा इसी प्रकार ही उन्होंने गुणविशेष देखा होगा। अर्हन्त भगवान् अमूढलक्षी होने से किसी भी क्रिया में निष्प्रयोजन प्रवृत्त नहीं होते। // नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक सम्पूर्ण // D 1. वियाहपण्णत्तिसृत्तं (मूलपाठ-टिप्पणयुक्त), भा. 1, पृ. 481 2. भगवती. अ. बृत्ति, पत्र 490 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org