________________ 502] व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [46 प्र.] भगवन् ! सत (विद्यमान) नैरयिक जीव उत्पन्न होते हैं या असत (अविद्यमान) नैरयिक उत्पन्न होते हैं ? [46 उ.] गांगेय ! सत नै रयिक उत्पन्न होते हैं, असत. नैरयिक उत्पन्न नहीं होते / इसी प्रकार यावत वैमानिक तक जानना चाहिए। 50, सओ भंते ! नेरतिया उन्चति, असओ नेरइया उव्वति ? गंगेया! सतो नेरइया उव्वति, नो असओ नेरइया उब्बति / एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसिय-वेमाणिएसु 'चयंति' भाणियन्वं / [50 प्र.] भगवन् ! सत् नैरयिक उद्वर्त्तते हैं या असत नैरयिक उद्वर्त्तते हैं ? |50 उ.] गांगेय ! सत नैरयिक उद्वर्तते हैं, किन्तु असत. नैरयिक उद्वतित नहीं होते। इसी प्रकार यावत वैमानिक पर्यन्त जानना चाहिए / विशेष इतना ही है कि ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के लिए 'च्यवते हैं, ऐसा कहना चाहिए। 51. [1] सओ भंते ! नेरइया उववज्जति, असओ नेरइया उववज्जति ? सओ असुरकुमारा उववज्जति जाव सतो वेमाणिया उववज्जति, असतो वेमाणिया उववज्जति ? सतो नेरतिया उव्वति, असतो नेरइया उन्वटेंति ? सतो असुरकुमारा उव्वटंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, असतो वैमाणिया चयंति ? गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जंति, नो असओ नेरइया उववज्जति, सओ असुरकुमारा उववज्जति, नो असतो असुरकुमारा उववज्जंति, जाव सओ वेमाणिया उववज्जति, नो असतो वेमाणिया उववज्जति / सतो नेरतिया उव्वति, नो असतो नेरइिया उबट्टति; जाव सतो वैमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया० / [51-1 प्र.] भगवन् ! नैरयिक जीव, सत् नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं या असत् नैरायकों में उत्पन्न होते हैं ? असुरकुमार देव, सत् असुरकुमार देवों में उत्पन्न होते हैं या असत असुरकुमार देवों में ? इसी प्रकार यावत सत् वैमानिकों में उत्पन्न होते हैं या असत् वैमानिकों में ? तथा सत नैरयिकों में से उदवर्त्तते हैं या अंसत् नैरयिकों में से ? सत् असुरकुमारों में से उद्वर्त्तते हैं यावत् सत वैमानिकों में से च्यवते हैं या असत् वैमानिकों में से च्यवते हैं ? 51-1 उ.] गांगेय ! नैरयिक जीव सत् नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु असत् नै रयिकों में उत्पत्र नहीं होते / सत् असुरकुमारों में उत्पन्न होते हैं, असत् असुरकुमारों में नहीं। इसी प्रकार यावत् सत् वैमानिकों में उत्पन्न होते हैं, असत् वैमानिकों में नहीं। (इसी प्रकार) सत् नैरयिकों में से उद्वर्तते हैं, असत् नैरयिकों में से नहीं / यावत् सत् वैमानिकों में से च्यवते हैं, असत् वैमानिकों में से नहीं / [2] से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ सतो नेरइया उववज्जंति, नो असतो नेरइया उववज्जति; जाव सओ वैमाणिया चयंति, नो असओ बेमाणिया चयंति ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org