________________ नबम शतक : उद्देशक-३२] [479 विवेचन-छह नरयिकों के प्रवेशनक भंग-प्रस्तुत सू. 21 में छह नैरयिकों के प्रवेशनक भंगों का विवरण दिया गया है। एक संयोगी 7 भंग-प्रत्येक नरक में 6 नैरयिकों का प्रवेशनक होने से सात नरकों के असंयोगी भंग 7 हुए। द्विकसंयोगी 105 भंग-द्विकसंयोगी विकल्प 5 होते हैं-यथा-१-५, 2-4, 3-3, 4-2, और 5-1 / इन पांच विकल्पों को १-रत्नप्रभा-शर्कराप्रभा, २-रत्नप्रभा-बालुकाप्रभा, ६--रत्नप्रभा-पंकप्रभा. 4-- रत्नप्रभा-धमप्रभा, ५---रत्नप्रभा-तम:प्रभा और ६–रत्नप्रभातम स्तमःप्रभा, इन 6 से गुणाकार करने पर 645 =30 भंग रत्नप्रभा के संयोग वाले हुए / इसी प्रकार शर्कराप्रभा के संयोग वाले 25 भंग होते हैं, बालुकाप्रभा के संयोग वाले 20, पंकप्रभा के संयोग वाले 15, धूमप्रभा के संयोग बाले 10 और तमःप्रभा के संयोग वाले 5 भंग होते हैं / ये सभी मिलकर 30+25+20+1+10+5=105 भंग होते हैं / / त्रिकसंयोगी 350 भंग-त्रिकसंयोगी विकल्प 10 होते हैं, यथा--१-१-४, 1-2-3, 2-1-3, 1-3-2, 2-2-2, 3-1-2, 1-4-1, 2-3-1, 3-2-1 और 4-1-1 / इन 10 विकल्पों को रत्नप्रभा के संयोग वाले र. श. बा., र. श. पं., र. श. धू., र. श. त, र. श, अधः, र. बा. पं., र. बा. धू, र. बा. त., र. वा. अधः, र. पं. धू., र. पं. त., र. पं. अधः, र. धू. त., र. धू. अधः, र. त. अधः, 15 भंगों से गुणा करने पर 150 भंग होते हैं / इसी तरह 10 विकल्पों को शर्कराप्रभा के संयोग वाले-श. बा. पं., श. बा. धू., श. बा. त., श. बा. अधः, श. पं. धू., श. पं. त., श. पं. अधः, श. धू. तम., श. धू. अधः, श. त. अधः, इन 10 भंगों के साथ गुणा करने पर 100 भंग होते हैं / बालुकाप्रभा के संयोग बाले-बा. पं. धू., बा. पं. त., बा. पं. अधः, वा. धू. त., बा. धू. अधः, बा. त. अधः, इन 6 भंगों को 10 विकल्पों से गुणा करने पर 60 भंग होते हैं। इसी प्रकार पंकप्रभा के संयोग बाले-पं. धू. त., पं. धू. अधः, पं. त. अधः, इन 3 भंगों के साथ 10 विकल्पों को गुणा करने से 30 भंग होते हैं / धुमप्रभा के संयोग बाला सिर्फ एक भंग ध. त. अधः, होता है / इसे 10 विकल्पों के साथ गुणा करने से 10 भंग होते हैं। इस प्रकार ये सभी मिल कर 150+100+60 + 30+10 = 350 भंग त्रिकसंयोगी होते हैं। चतुःसंयोगी 350 भंग-चतुःसंयोगी विकल्प भी 10 होते हैं / यथा—१-१-१-३, 1-1-2-2, 1-2-1-2, 2-1-1-2, 1-1-3-1, 1-2-2-1, 2-1-2-1, 1-3-1-1, 2-2-1-1 और 3-1-1-1 / इन दस विकल्पों को रत्नप्रभा आदि के संयोग वाले पूर्वोक्त 35 भंगों के साथ गुणाकार करने पर 350 भंग होते हैं। पंचसंयोगो 105 भंग--पंचसंयोगी 5 विकल्प होते हैं / यथा--१-१-१-१-२, 1-1-1.2-1, 1-1-2-1-1, 1-2-1-1-1, 2-1-1-1-1 / इन 5 विकल्पों को रत्नप्रभा के संयोग वाले (र. श. बा. पं. धू., र. श. बा. पं. त., र. श. बा. प. अधः, र. श. बा. धू. त., र. श. बा. धू. अधः, (र. श. बा. त. अधः, र. श. पं, धू. त., र. श. पं. धू. अधः, र. श. पं. त. अधः, र. श. धू. त. अधः, र. बा. पं. धू. तम., र. बा. पं. धू. अधः, र. बा. पं. त. अधः, र. बा. धू. त. अध:, र. शं. धू. त. अधः. इन 15 भंगों के साथ गुणा करने पर 75 भंग होते हैं। इसी प्रकार शर्कराप्रभा के संयोग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org