________________ नवम शतक : उद्देशक-३२) [477 बालुकाप्रभा के संयोग वाला 1 भंग होता है। यों सभी मिलकर 15+5+1=21 भंग पंचसंयोगी होते हैं।" पांच नैरयिकों के समस्त भंग-पाँच नैरयिक जीवों के असंयोगी 7, द्विक्संयोगी 84, त्रिकसंयोगी 210, चतु:संयोगी 140 और पंचसंयोगी 21, ये सभी मिलकर 7 84+210+ 140+21 = 462 भंग होते हैं। छह नैरयिकों के प्रवेशनकभंग 21. छछभंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणए णं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा० ? पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा 7 / अहवा एगे रयण, पंच सक्करप्पभाए वा होज्जा 1 / अहवा एगे रयण०, पंच वालुयप्पभाए वा होज्जा 2 / जाव अहवा एगे रयण, पंच अहेसत्तमाए होज्जा 6 / अहवा दो रयण, चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा 1-7 / जाव अहवा दो रयण, चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा 6-12 / अहवा तिणि रयण, तिणि सक्कर० 1.13 / एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं दुयासंजोगो तहा छह वि भाणियन्वो, नवरं एक्को अन्भहिओ संचारेयन्वो जनव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 105 / अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, चत्तारि वाल यप्पभाए होज्जा 1 / अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, चत्तारि पंकप्पभाए होज्जा 2 / एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा 5 / अहवा एगे रयण, दो सक्कर०, तिग्णि वालुयप्पभाए होज्जा 6 / एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा छह वि भाणियन्वो, नवरं एक्को अभहिओ उच्चारेयचो, सेसं तं चेव / 350 / चउक्कसंजोगो वि तहेव / 350 / / पंचगसंजोगो वि तहेव, नवरं एक्को अभहिओ संचारेयवो जाव पच्छिमो भंगो-अहवा दो वालुय०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा / 105 / अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० जाव एगे तमाए होज्जा 1, अहवा एगे रयण जाव एगे धूम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 2, अहवा एगे रयण जाव एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 3, अहवा एगे रयण जाव एगे वालय० एगे धूम० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 4, अहवाएगे रयण एगे सक्कर० एगे पंक० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 5, अहवा एगे रयण० एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 6, अहवा एगे सस्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 7 / 924 / --.-..-..--. .- , ------- - - 1. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 444 2 भगवती. अ वत्ति, पत्र 444 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org