________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र शर्कराप्रभा के संयोग वाले 40, बालुकाप्रभा के संयोग वाले 16 और पंकप्रभा के संयोग वाले 4, ये सभी मिलकर पंच नैरयिकों के चतुःसंयोगी 140 भंग होते हैं। (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है / (2) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, और एक तमःप्रभा में होता है, (3) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (4) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (5) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराग्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (6) अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में एक बालुकाप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (7) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (8) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धमप्रभा में और एक अध:सप्तमपृथ्वी में होता है / (6) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (10) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तम:प्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (11) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (12) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (13) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में एक पंकप्रभा में, एक तम प्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (14) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (15) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में, यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (16) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (17) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है। (18) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (16) एक शर्कराप्रमा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (20) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (21) अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / विवेचन-पंच नैरयिकों के पंचसंयोगी भंग-पंच नै रयिकों का पंचसंयोगी विकल्प एवं भंग 1-1-1-1-1 एक ही होता है इस प्रकार सात नरकों के पंचसंयोगी 21 ही विकल्प और 21 ही भंग होते हैं। जिनमें से रत्नप्रभापृथ्वी के संयोग वाले 15, शर्कराप्रभा के संयोग बाले 5 और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org