________________ नवम शतक : उद्देशक-३२ 1 [ 469 (2 से 5) इसी प्रकार यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (इस प्रकार 2-1-1 के पाँच भंग हुए।) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और दो पंकप्रभा में होते हैं / इस प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और दो अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं (2-3-4) / (इस प्रकार रत्नप्रभा और बालुकाप्रभा के साथ 4 भंग होते हैं / ) इसी प्रकार के अभिलाप द्वारा जैसे तीन नैरयिकों के त्रिकसंयोगी भंग कहे, उसी प्रकार चार नरनिकों के भी त्रिकसंयोगी भंग जानना चाहिए; यावत् दो धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक तमस्तमःप्रभा में होता है / (इस प्रकार त्रिकसंयोगी कुल 105 भंग हुए।) (चतुःसंयोगी 35 भंग-) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक पंकपभा में होता है / (2) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है, (3) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (4) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक अध:सप्तम पृथ्वी में होता है / (ये चार भंग हुए।) / (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धमप्रभा में होता है / (2) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (3) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है / (इस प्रकार ये तीन भंग हुए।) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (2) अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (इस प्रकार ये दो भंग हुए / ) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अध:सप्तम पृथ्वी में होता है / (यह एक भंग हुआ / ) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धमप्रभा में होता है। (2) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में एक पंकप्रभा में और एक होता है। (3) अथवा एक रत्न में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृश्वी में होता है / (ये तीन भंग हुए।) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (2) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है / (ये दो भंग हुए।)। (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (यह एक भंग हुआ।) (1) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है / (2) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (ये दो भंग होते हैं।) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org