________________ . नवम शतक : उद्देशक-३२] [463 धूमप्रभा के साथ 2 और तमःप्रभा के साथ 1; इस प्रकार कुल मिलाकर 21 भंग होते हैं / दो नै रयिकों के असंयोगी 7 और द्विकसंयोगी 21, ये दोनों मिला कर कुल 28 भंग (विकल्प) होते हैं।' तीन नरयिकों के प्रवेशनक-भंग 18. तिणि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणए णं पविसमाणा कि रणयप्पभाए होज्जा जाद अहेसत्तमाए होज्जा? गंगेया! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसतमाए वा होज्जा / 7 // अहवा एगे रयणप्पभाए, दो सक्करप्पभाए होज्जा 1 / जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होज्जा, 2-3-4-5-6 / अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए होज्जा 1 / जाव अहवा दो रयणप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 2-3-4-5.6=12 // अहवा एगे सक्करप्पभाए, दो बालुयप्पभाए होज्जा 1 / जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए, दो अहेसतमाए होज्जा, 2-3-4-5 = 17 / अहवा दो सक्करप्पभाए, एगे वालयप्पभाए होज्जा 1 / जाव अहवा दो सक्करपभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 2-3-4-5= 22 / एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तन्धया भणिया तहा सव्वपुढवीणं भाणियव्या, जाव अहवा दो तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा / 4-4, 3-3, 2-2, 1-1, = 42 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा 1 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए होज्जा 2 / जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगेसक्करप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 3-4-5 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा 6 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा 7 / एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 8-9 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा 10 / जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 11-12 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्यभाए, एगे तमाए होज्जा 13 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 14 / अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 15 // अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए होज्जा 16 / अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा 17 / जाब अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 1819 / अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा 20 / जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, 21-22 / अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा 23 / अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे धूमप्प०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 24 / अहया एगे सक्करप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 25 / अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा 26 / अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पमाए, एगे तमाए 1. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 442, (ख) भगवती. भा. 4 (पं घेवरचंदजी), पृ 1621 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org