________________ 464] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र होज्जा 27 / अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 28 / अहवा एगे वालयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा 29 / अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमपभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 30 / अहवा एगे वालयप्पभाए. एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 31 / अहवा एगे पंकप्पमाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा 32 / अहवा एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 33 / अहवा एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 34 / अहवा एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा 35 / 84 / [18 प्र.] भगवन् ! तीन नैरयिक नै रयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं ? अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होते हैं ? [18 उ.] गांगेय ! वे तीन नैरयिक (एक साथ) रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् अधःसप्तम में उत्पन्न होते हैं / (1) अथवा एक रत्नप्रभा में और दो शर्कराप्रभा में; अथवा (2-3-4-5-6) यावत् एक रत्नप्रभा में और दो अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होते हैं। (इस प्रकार 1-2 का रत्नप्रभा के साथ अनुक्रम से दूसरे नरकों के साथ संयोग करने से छह भंग होते हैं)। (1) अथवा दो नैरयिक रत्नप्रभा में और एक शर्कराप्रभा में उत्पन्न होते है / (2-3-4-56) अथवा यावत् दो जीव रत्नप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार 2-1 के भी पूर्ववत् 6 भंग होते हैं)। (1) अथवा एक शर्कराप्रभा में और दो बालुकाप्रभा में होते हैं, (2-3-4-5) अथवा यावत् एक शर्कराप्रभा में और दो अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं। (इस प्रकार शर्कराप्रभा के साथ 1-2 के पांच भंग होते हैं। (1) अथवा दो शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में होता है, अथवा (2-3-4-5) यावत् दो शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। (इस प्रकार 2-1 के पूर्ववत् पांच भंग होते हैं)। जिस प्रकार शर्कराप्रभा की वक्तव्यता कही, उसी प्रकार सातों नरकों की वक्तव्यता, यावत दो तमःप्रभा में और एक तमस्तम:प्रभा में होता है, यहाँ तक जानना चाहिए / (इस प्रकार 6+6+ 5+5=22 तथा 4-4, 3-3, 2-2, 1-1 = कुल 42 भंग हुए) अथवा (1) एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रा में और एक बालुकाप्रभा में (2) अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है / अथवा (3-4-5) यावत् एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है / (इस प्रकार रत्नप्रभा और शर्कराप्रभा के साथ 5 विकल्प होते हैं / ) अथवा (6) एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है। (7) अथवा एकरत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है / (8-6) इसी प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। इस प्रकार रत्नप्रभा और बालुकाप्रभा के साथ 4 विकल्प होते हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org