________________ नवम शतक : उद्देशक-३१] [453 . आभिनिबोधिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान में होता है। यदि चार ज्ञान में होता है तो प्राभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनःपर्यवज्ञान में होता है। 36. से णं भंते ! कि सजोगी होज्जा, अजोगी होज्जा ? एवं जोगो उवओगो संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउयं च एयाणि सव्वाणि जहा असोच्चाए (सु. 17-22) तहेव भाणियब्वाणि / [36 प्र.] भगवन् ! वह (तथारूप अवधिज्ञानी) सयोगी होता है अथवा अयोगी होता है ? (आदि प्रश्न यावत् आयुष्य तक) |36 उ. | गौतम ! जैसे 'असोच्चा' के योग, उपयोग, सहनन, संस्थान, ऊँचाई और आयुष्य के विषय में कहा, उसी प्रकार यहाँ (सोच्चा के) भी योगादि के विषय में कहना चाहिए / 37. [1] से णं भंते कि सवेदए० पुच्छा / गोयमा ! सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा / [37.1 प्र.] भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सवेदी होता है अथवा अवेदी? 137- १उ.। गौतम ! वह सवेदी होता है अथवा अवेदी भी होता है। [2] जइ अवेदए होज्जा कि उबसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा ? गोयमा ! नो उवसंतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा। [37-2 प्र.] भगवन् ! यदि वह अवेदी होता है तो क्या उपशान्तवेदी होता है अथवा क्षीणवेदी होता है [37-2 उ.] गौतम ! वह उपशान्तवेदी नहीं होता, क्षीणवेदी होता है / [3] जइ सबेदए होज्जा कि इत्थीवेदए होज्जा० पुच्छा। गोयमा इत्थीवेदए वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिसनषु सगवेदए वा होज्जा / [37-3 प्र.] भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है तो क्या स्त्रीवेदी होता है पुरुषवेदी होता है, नपुंसकवेदी होता है, अथवा पुरुष-नपु सकवेदी होता है ? 37-3 उ. | गौतम ! वह स्त्रीवेदी भी होता है या पुरुषवेदी होता है अथवा पुरुषनपुंसकवेदी होता है। 38. [1] से णं भंते ! सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा ? गोयमा ! सकसाई वा होज्जा, अकसाई वा होज्जा / |38-1 प्र. भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सकषायी होता है अथवा अकषायी होता है ? [38-1 उ.] गौतम ! वह सकधायी होता है अथवा अकषायी भी होता है। [2] जइ अकसाई होज्जा कि उवसंतकसाई होज्जा, खोणकसाई होज्जा ? गोयमा ! नो उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org