________________ 1445 नवम शतक : उद्देशक-३१) 18. से णं भंते ! कि सागारोबउत्ते होज्जा, अणागारोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा / (18 प्र. भगवन् ! वह साकारोपयोग-युक्त होता है, अथवा अनाकारोपयोग-युक्त होता है ? [18 उ. गौतम ! वह साकारोपयोग-युक्त भी होता है और अनाकारोपयोग-युक्त भी होता है। 19. से गं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा? गोयमा ! वइरोसभनारायसंघयणे होज्जा / [16 प्र. भगवन् ! वह किस संहनन में होता है ? [16 उ.| गौलम ! वह वज्रऋषभनाराचसहनन वाला होता है। 20. से गं भंते ! कयरम्मि संठाणे होज्जा? गोयमा ! छहं संठाणाणं अन्नयरे संठाणे होज्जा / |20 प्र. भगवन् ! वह किस संस्थान में होता है ? [20 उ. गौतम ! बह छह संस्थानों में से किसी भी संस्थान में होता है। 21. से णं भंते ! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा? गोयमा ! जहन्नेणं सत्त रयणी, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा / 21 प्र. भगवन् ! वह कितनी ऊँचाई वाला होता है ? [21 उ.] गौतम ! वह जघन्य सात हाथ (रनि) और उत्कृष्ट पाँच सौ धनुष उँचाई वाला होता है। 22. से णं भंते ! कयरम्मि आउए होज्जा? गोयमा ! जहन्नेणं सातिरेगट्ठावासाउए, उक्कोसेणं पुन्चकोडिआउए होज्जा। [22 प्र.] भगवन् ! वह कितनी प्रायुष्य वाला होता है ? {22 उ. गौतम ! वह जघन्य साधिक आठ वर्ष और उत्कृष्ट पूर्वकोटि प्रायुष्य वाला होता है। 23. [1] से णं भंते ! कि सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो अवेदए होज्जा। [23.1 प्र. भगवन् ! वह सवेदी होता है या अवेदी ? [23-1 उ.] गौतम ! वह सवेदी होता है, अवेदी नहीं होता। [2] जइ सवेदए होज्जा कि इत्थीवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, नपुसंगवेदए होज्जा, पुरिसन सगवेदए होज्जा ? गोयमा ! नो इत्थिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, नो नपुंसगवेदए होज्जा, पुरिसनयुसगवेदए बा होज्जा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org