________________ समवायांग के तृतीय समवाय का प्रथम सूत्र--'तओ दंडा पणत्ता..' है तो प्रश्नव्याकरण 3 * में भी तीन दण्ड का उल्लेख है। . समवायांग के तृतीय समवाय' का द्वितीय सूत्र--'तओ गुत्तीग्रो पण्णता...' है तो प्रश्नव्याकरण 39 में भी तीन गुप्तियों का उल्लेख हुआ है। समवायांग के तृतीय समवाय का तृतीय सूत्र---'तओ सल्ला पण्णत्ता..' है तो प्रश्नव्याकरण 32 में भी तीत शल्यों का वर्णन है। समवायांग के तृतीय समवाय का चतुर्थ सूत्र-'तओ मारवा पण्णता...' है तो प्रश्नव्याकरण 33 में भी गर्व के तीन भेद बताये हैं। समवायांग सूत्र के तृतीय समवाय का पांचवां सूत्र--'तओ विराहणा पण्णत्ता...' है तो प्रश्नव्याकरण 34 में भी तीन विराधनाओं का उल्लेख है। समवायांग सूत्र के चतुर्थ समवाय का चतुर्थ सूत्र-'चत्तारि सण्णा पण्णत्ता..' है तो प्रश्नव्याकरण 35 में भी चार संज्ञाओं का वर्णन है। समवायांग के पांचवें समवाय का दूसरा सूत्र--'पंच महब्बया पण्णत्ता..' है तो प्रश्नव्याकरण 36 में भी पांच महाव्रतों का वर्णन है। समवायांग के पांचवें समवाय का चतुर्थ सूत्र- 'पंच आसक्दारा पण्णत्ता...' है तो प्रश्नव्याकरण 3 9 में भी पांच प्राथवद्वारों का निरूपण हुआ है। समवायांग के पांचवें समवायांग का पांचां सूत्र-'पंच संवरदारा पण्णत्ता...' है तो प्रश्नव्याकरण 4 38 भी पांच संवरद्वारों का विश्लेषण है। ___ समवायांग के सातवें समवाय का पहला सूत्र--‘सत्त भयाणा पण्णत्ता......' है तो प्रश्नव्याकरण 36 में भी सात भयस्थान बताये हैं / समवायांग के आठवें समवाय का पहला सूत्र-'अठ मयठाणा पण्णत्ता..' है तो प्रश्नव्याकरण 4deg में में भी आठ मदस्थान बताये हैं। समवायांग के नौवें समवाय का प्रथम सूत्र--'नव बंभचेरगुत्तीग्रो पण्णत्ताओ' है तो प्रश्नव्याकरण:४१ में भी नौ ब्रह्मचर्य गुप्तियों का उल्लेख है। 430. प्रश्नव्याकरण 5 संवरद्वार 431. प्रश्नव्याकरण 5 संवरद्वार 432. प्रश्नव्याकरण 5 संवरद्वार 433. प्रश्नव्याकरण 5 संवरद्वार 434. प्रश्नव्याकरण 5 वां संवरद्वार 435. प्रश्नव्याकरण 5 वां संवरद्वार 436. प्रश्नव्याकरण 5 वां संवरद्वार 437. प्रश्नव्याकरण 5 वां पाश्रवद्वार 438. प्रश्नव्याकरण संवरद्वार 439. प्रश्नव्याकरण 5 वां संवरद्वार 440. प्रश्नव्याकरण 5 वा सवरद्वार 441. प्रश्नव्याकरण 5 संवरद्वार [ 77 ] www.jainelibrary.org. Jain Education International For Private & Personal Use Only