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________________ परिशिष्ट २--व्यक्तिनामानुक्रम] [251 विश्वसेन विष्णु 162,232 241 232 239 236 236 226,232 वीर वीरभद्र वैजयन्तो शतक शतकोत्ति शतञ्जल शतधनु शतायु शताली शान्ति و به سر به س بي س शिव शिवसेन शिवा शीतल शुचि शुद्धदन्त 226,229,232 सगर 226 सत्यसेन 229 सनत्कुमार 21 समाधिगुप्त 233 समुद्र 239 समुद्रदत्त 239 समुद्रविजय 225 सर्वभाववित् 238 सर्वानन्द 225 सर्वानुभूति 239 सहदेवी 69,108,135,149,153, सागर 227,232 सागरदत्त 232 सात्यकी 238 सिंहगिरि 226,231 सिहरथ 69,165,141,149,227 सिहसेन 231 सिद्धार्थ 240 सिद्धार्था 21,231 सोता 21 सीमकर 226 सीमंधर 233 सुकोशल 227,229 सुग्रीव 238 सुघोष 226,261 सुदर्शन 226,233 सुदर्शना 225 सुदाम 241 सुधर्म 21 सुनन्द 240 सुनन्दा 240 सुन्दर 240 सुन्दबाहु 239 सुन्दरी 69.126,139,142,227 सुपार्श्व (अर्हत्) 229,236 226,227 226,241,242 226 शुभ الله शुभघोष الله الله 241 226,241 225 226,227,236,237,240 शूर शेषमती शंख श्यामकोष्ठ श्यामा श्री श्रीकान्ता श्रीचन्द्र श्रीधर श्रीपुत्र श्रीभूति श्रीसोम श्रेणिक श्रेयांस (अर्हत) श्रेयांस 229,239 GWww 227 142 67,145,154,161, 227,239 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003472
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Hiralal Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages377
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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