________________ 170] [समवायाङ्गसूत्र ५०८-पुरिससोहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता पंचमाए पुढवीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने / 100000 / पुरुषसिंह वासुदेव दश लाख वर्ष की कुल आयु को भोग कर पाँचवीं नारकपृथिवी में नारक रूप से उत्पन्न हुए। ५०९-समणेणं भगवं महावीरे तित्थगरभवग्गणाओ छ? पोट्टिलभवग्गहणे एगं वासकोडि सामनपरियागं पाउणित्ता सहस्सारे कप्पे सव्वट्टविमाणे देवत्ताए उववन्ने / 10000000 / श्रमण भगवान् महावीर तीर्थकर भव ग्रहण करने से पूर्व छठे पोट्टिल के भव में एक कोटि वर्ष श्रमण-पर्याय पाल कर सहस्रार कल्प के सर्वार्थ विमान में देवरूप से उत्पन्न हुए थे। ५१०-उसभसिरिस्स भगवओ चरिमस्स य महावीरवद्धमाणस्स एगा सागरोवमकोडाकोडी अबाहाए अंतरे पण्णत्त / 100000000000000 सा० / भगवान् श्री ऋषभदेव का और अन्तिम भगवान महावीर वर्धमान का अन्तर एक कोड़ाकोड़ी सागरोपम कहा गया है / 100000000000000 सा० / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org