________________ 86] [समवायाङ्गसूत्र प्रबंभयारी जे केई बंभयारि ति हं वए। गद्दहे व्व गवां मज्झे विस्सरं नयई नदं // 13 // अप्पणो अहिए बाले मायामोसं बहुं भसे। इत्थीविसयगेहीए महामोहं पकुव्वइ // 14 // 12 // जं निस्सिए उन्वहइ जससाहिगमेण वा। तस्स लुब्भइ वित्तम्मि महामोहं पकुव्वइ // 15 // 13 // ईसरेण अदुवा गामेणं अणिसरे ईसरीकए। तस्स संपयहीणस्स सिरी अतुलमागया // 16 // ईसादोसेण प्राविट्ठे कलुसाविलचेयसे / जे अंतरायं चेएइ महामोहं पकुम्वइ // 17 // 14 // सप्पी जहा अंडउडे भत्तारं जो विहिसइ / सेणावई पसत्थारं महामोहं पकुव्वइ // 18 // 15 // जे मायगं च रस्स नेयारं निगमस्स वा। सेट्टि बहुरवं हंता महामोहं पकुव्वइ // 19 // 16 // बहुजणस्स यारं दीवं ताणं च पाणिणं / एयारिसं नरं हंता महामोहं पकुव्वइ // 20 // 17 // उवट्ठियं पडिविरयं संजयं सुतवस्सियं / बुक्कम्म धम्मानो भंसेइ महामोहं पकुव्वइ // 21 // 18 // तहेवाणतणाणीणं जिणाणं वरदंसिणं / तेसि अवण्णवं बाले महामोहं पकुव्वई // 22 // 19 // नेयाउअस्स मग्गस्स दुठे अवयरई बहुं / तं तिप्पयंतो भावेई महामोहं पकुव्वइ // 23 // 20 // आयारिय-उवज्झाएहि सूय विणय च गाहिए। ते चेव खिसई बाले महामोहं पकुव्वइ // 24 // 21 // आयरिय-उवज्झायाणं सम्म नो पडितप्पइ / अप्पडिपूयए थद्ध महामोहं पकुम्बइ // 25 // 22 // अबहुस्सुए य जे केई सुएणं पविकत्थई / सज्झायवायं वयइ महामोहं पकुव्वइ // 26 // 23 // अतवस्सीए य जे केई तवेण पविकत्थइ / सव्वलोयपरे तेणे महामोहं पकुव्वइ // 27 // 24 // साहारणदा जे केई गिलाणम्मि उवटिए / पभू ण कुणई किच्चं मझं पि से न कुव्वइ // 28 // सढे नियडोपण्णाणे कलुसाउलचेयसे / अप्पणो य अबोही य महामोहं पकुम्वइ // 29 // 25 // जे कहाहिगरणाई संपउंजे पुणो पुणो। सम्वतित्थाण भेयाणं महामोहं पकुव्वइ // 30 // 26 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org