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________________ एकनवतिस्थानक समवाय परवैयावृत्यकर्म, कालोद समुद्र की परिधि, कुन्थुनाथ के अवधिज्ञानी श्रमण, कर्मप्रकृतियां / द्विनवतिस्थानक समवाय प्रतिमा, इन्द्रभूति का आयुष्य, मंदर और गोस्तुभ पर्वत का अन्तर / विनवतिस्थानक समवाय चन्द्रप्रभ जिन के गण और गणधर, शान्तिनाथ के चतुर्दशपूर्वी मुनियों की संख्या, सूर्यसंचार। चतुर्नवतिस्थानक समवाय निषध-नीलवन्त पर्वतों की जीवाएँ, अजितनाथ के अवधिज्ञानी मुनियों की संख्या। पंचनवतिस्थानक समवाय 153 153 154 सुपार्श्वनाथ के गण और गणधर, चार महापाल, लवण-समुद्र के पाश्वों की गहराई और ऊंचाई कुन्थुनाथ की आयु, स्थविर मौर्यपुत्र की प्रायु / षण्णवतिस्थानक समवाय चक्रवर्ती के ग्राम, वायूकुमारों के आवास, व्यावहारिक दंड, धनुष, नालिका, युग, अक्ष और मुसल का माप, सूर्यसंचार। सप्तनवतिस्थानक समवाय मन्दर और गोस्तुभ पर्वत का अन्तर, उत्तर कर्मप्रकृतियाँ, हरिषेण चक्रवर्ती का गृहवासकाल। अष्टानवतिस्थानक समवाय नन्दनवन-पाण्डकवन का अन्तर, मन्दर-गोस्तूभ पर्वत का अन्तर, दक्षिण भरत का धनुपृष्ठ, सूर्य संचार, रेवती आदि नक्षत्रों के तारे। नवनवतिस्थानक समवाय मंदर पर्वत की ऊंचाई, नन्दन बन के पूर्वी-पश्चिमी चरमान्त का तथा दक्षिण-उत्तरी चरमान्त का अन्तर, सूर्यमंडल का पायाम-विष्कम्भ, रत्नप्रभा पृथ्वी और वानव्यन्तरों के आवासों का अन्तर। 158 शतस्थानक समवाय 159 161 दशदशमिका भिक्षुप्रतिमा, शतभिषा नक्षत्र के तारे, सुविधि-पुष्पदन्त की अवगाहना, पाश्वं जन का आयुष्य, विभिन्न पर्वतों की ऊँचाई। अनेकोतरिकावृद्धि-समवाय तीर्थकर-देवलोक-तीर्थकर-वर्षधरपर्वत--कांचनक पर्वत-तीर्थकर-~-देव-तीर्थकरदेव-महाबीर-जीवप्रदेशावगाहना-पार्श्वनाथ--तीर्थकर-वर्षधर पर्वत-बक्षार---पर्वतदेवलोक-महावीर-तीर्थकर-चक्रवर्ती--वक्षारपर्वत-वर्षधर पर्वत, तीर्थंकर-चक्रवर्ती वक्षारपर्वत-नन्दन-कट-विमान–अन्तर---पार्श्व-कुलकर--तीर्थकर-विमान---महावीरतीर्थंकर--अन्तर–विमान- भौमेयविहार - महावीर - सूर्य- तीर्थंकर-विमान-अन्तर [ 119 ] For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003472
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Hiralal Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages377
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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