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________________ 746] [स्थानाङ्गसूत्र 562 727 476 667 646 585 476 717 87 521 636 06 06 587 णिसग्गुवएसरुई णीहारि पिडिमे लुक्खे सप्पम्मिणिवेसा णेसप्पे पंडुयए तंतिसमं तालसम तज्जातदोसे मतिभंगदोसे तणुओ तणुयग्गीवो ततिया करणम्मि कया तत्थ पढमा विभत्ती दच्चा य अदच्चा य दप्प पमायऽणाभोगे दोण्हं पि रत्तसुक्काणं धेवतसरसंपण्णा पंचमसरसंपण्णा पंचमी य अवादाणे पउमप्पहस्स चित्ता पउमावई य गोरी पउमुत्तर णीलवंतं पढमित्थ विमलवाहण परिकम्मं ववहारो पलिअोवमद्वितीया पुढवि-दगाणं तु रसं पुण्णं रत्तं च अलंकियं बंधे य मुक्खे य देवड्ढी बाला किड्डा य मंदा य भद्दे सुभद्दे सुजाते भदो मज्जइ सरए भीतं दुतं रहस्सं मंगी कोरव्वोया मज्झिमसरसंपण्णा मत्तंगया य भिंगा मत्तंगया य भिंगा मधुगुलिय-पिंगलक्खो माहे उ हेमगा गब्भा मिगसिरमद्दा पुस्सो मित्तदामे सुदामे य 725 मित्तवाहण सुभोमे य 686 मियापुत्ते य गोतासे 666 मुणिसुव्वयस्स सवणो 666 रयणाई सव्वरयणे 587 रिठे तवणिज्ज कंचण 717 रिसभेण उ एसिज्ज 272 रेवतिता अणंतजिणो 635 लोहस्स य उप्पत्ती 635 वत्थाण य उप्पत्ती 127 वत्थु तज्जातदोसे य 706 वाससए वाससए 441 विसमं पवालिणो परिणमंति 585 वीरंगए वीरजसे 585 वेरुलियमणिकवाडा 635 संखाणे णिमित्ते काइए 476 सक्कता पागता चेव 643 सज्जे रिसभे गंधारे 648 सज्जेण लभति वित्ति सज्जं तु अग्गजिब्भाए 720 सज्ज रवति मयूरो 667 सज्ज रवति मुइंगो 521 सत्त सरा कतो संभवंति 586 सत्त सराणाभीतो 728 सत्त सरा तो गामा 737 सत्थमग्गी विसं लोणं 672 सद्दा रूवा गंधा 275 समगं णक्खत्ता जोग 586 सममद्धसमं चेव 585 सयंजले सयाऊ य सव्वा आभरणविही ससिसगलपुण्णमासी 734 सामा गामति मधुरं 272 सारस्सयमाइच्चा सारस्सयमाइच्चा 743 सालदुममज्झयारे 562 सालदुममज्भयारे 562 585 583 584 127 521 587 735 585 521 587 441 405 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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