________________ दशम स्थान] [737 6. अप्रथम समय में उत्पन्न त्रीन्द्रिय जीव / 7. प्रथम समय में उत्पन्न चतुरिन्द्रिय जीव / 8. अप्रथम समय में उत्पन्न चतुरिन्द्रिय जीव / 6. प्रथम समय में उत्पन्न पंचेन्द्रिय जीव / 10. अप्रथम समय में उत्पन्न पंचेन्द्रिय जीव (152) / १५३–दसविधा सम्वजीवा पण्णत्ता, त जहा-पुढविकाइया, (प्राउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया), वणस्सइकाइया, बेदिया, (तेइंदिया, चरिदिया), पंचेदिया, अणिदिया। अहवा-दसविधा सव्धजीवा पण्णता, तं जहा---पढमसमयणेरइया, अपढमसमयणेरड्या, (पढमसमयतिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमणुया, अपढमसमयमणुया, पढमसमयदेवा), अपढमसमयदेवा, पढमसमयसिद्धा, अपढमसमयसिद्धा। सर्व जीव दश प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. पृथ्वीकायिक, 2. अप्कायिक, 3. तेजस्कायिक, 4 वायुकायिक, 5. वनस्पतिकायिक, 6. द्वीन्द्रिय, 7. श्रीन्द्रिय, 8. चतुरिन्द्रिय, 6. पंचेन्द्रिय, 10. अनिन्द्रिय (सिद्ध) जीव / अथवा सर्व जीव दश प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. प्रथम समय-उत्पन्न नारक। 2. अप्रथम समय-उत्पन्न नारक / 3. प्रथम समय में उत्पन्न तिर्यच / 4. अप्रथम समय में उत्पन्न तिर्यंच / 5. प्रथम समय में उत्पन्न मनुष्य / 6. अप्रथम समय में उत्पन्न मनुष्य / 7. प्रथम समय में उत्पन्न देव / 8. अप्रथम समय में उत्पन्न देव / 6. प्रथम समय में सिद्धगति को प्राप्त सिद्ध / 10. अप्रथम समय में सिद्धगति को प्राप्त सिद्ध (153) / शतायुष्क-दशा-सूत्र १५४.-वाससताउयस्स णं पुरिसस्स दस दसानो पण्णत्तानो, त जहासंग्रह-श्लोक बाला किड्डा य मंदा य, बला पण्णा य, हायणी। पवंचा पब्भारा य मुम्मही सायणी तधा // 1 // सौ वर्ष की आयु वाले पुरुष की दश दशाएं कही गई हैं / जैसे--- 1. बालदशा, 2. क्रीडादशा, 3. मन्दादशा, 4. बलादशा, 5. प्रज्ञादशा, 6. हायिनीदशा 7. प्रपंचादशा, 8. प्रारभारादशा, 6. उन्मुखीदशा, 10. शायिनीदशा (154) / विवेचन–मनुष्य की पूर्ण आयु सौ वर्ष मानकर, दश-दश वर्ष की एक-एक दशा का वर्णन प्रस्तुत सूत्र में किया गया है / खुलासा इस प्रकार है-- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org