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________________ 720 ] [ स्थानाङ्गसूत्र सिद्धि-मुक्ति में अविग्रह से-विना मुड़े जाना, ऐसी निरुक्ति करके दशवें पद को संगति बिठलाई है। नवें पद को सामान्य अपेक्षा से और दशवें पद को विशेष को विवक्षा से कहकर भेद बताया है। मुण्ड-सूत्र __EE-दस मडा पण्णता, तं जहा--सोतिदियमुडे, (चक्खिदियमुडे, घाणिदियम् डे, जिभिदियमुडे), फासिदियमुडे, कोहमुंडे, (माणमडे मायामुडे) लोभमुंडे, सिरमुंडे / मुण्ड दश प्रकार के कहे गये हैं ! जैसे--- 1. श्रोत्रेन्द्रियमुण्ड-श्रोत्रेन्द्रिय के विषय का मुण्डन (त्याग) करने वाला। 2. चक्षुरिन्द्रियमुण्ड-चक्षुरिन्द्रिय के विषय का मुण्डन करने वाला। 3. घ्राणेन्द्रियमुण्ड-घ्राणेन्द्रिय के विषय का मुण्डन करने वाला। 4. रसनेन्द्रियमुण्ड-रसनेन्द्रिय के विषय का मुण्डन करने वाला। 5. स्पर्शनेन्द्रियमुण्ड-स्पर्शनेन्द्रिय के विषय का मुण्डन करने वाला। 6. क्रोधमुण्ड-क्रोध कषाय का मुण्डन करने वाला। 7. मानमुण्ड-मानकषाय का मुण्डन करने वाला। 8. मायामुण्ड-मायाकषाय का मुण्डन करने वाला। 6. लोभमुण्ड-लोभकषाय का मुण्डन करने वाला। 10. शिरोमुण्ड-शिर के केशों का मुण्डन करने-कराने वाला (66) / संख्यान-सूत्र १००-दसविधे संखाणे पण्णत्त , तं जहासंग्रहणी-गाथा परिकम्मं ववहारो रज्ज रासी कला-सवण्णे य / जावंतावति वग्गो, घणो य तह वग्गवग्गोवि // 1 // कप्पो य०॥ संख्यान (गणित) दश प्रकार का कहा गया है / जैसे१. परिकर्म—जोड़, बाकी, गुणा, भाग आदि गणित / 2. व्यवहार-पाटी गणित-प्रसिद्ध श्रेणी व्यवहार, मिश्रक व्यवहार आदि / 3. रज्जु-क्षेत्रगणित, रज्जु से कप आदि की लंबाई-गहराई आदि की माप विधि / 4. राशि-धान्य आदि के ढेर को नापने का गणित / 5. कलासवर्ण-अंशों वाली संख्या समान करना / 6. यावत्-तावत्--गुणकार या गुणा करनेवाला गणित / 7. वर्ग-दो समान संख्या का गुणन-फल / 8. घन-तीन समान संख्याओं का गुणन-फल / 6. वर्ग-वर्ग-वर्ग का वर्ग / 10. कल्प-लकड़ी आदि की चिराई आदि का माप करनेवाला गणित (100) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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