________________ 562] [स्थानाङ्गसूत्र संग्रहणी-गाथा मित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपमे / विमलघोसे सुघोसे य, महाघोसे य सत्तमे // 1 // जम्बूद्वीप नामक द्वीप में भारत वर्ष में अतीत उत्सपिणी काल में सात कुलकर हए / जैसे१. मित्रदामा, 2. सुदामा, 3. सुपार्श्व, 4. स्वयंप्रभ, 5. विमलघोष, 6. सुघोष, 7. महाघोष (61) / ६२-जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमोसे ओसप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था पढमित्थ विमलवाहण, चक्खुम जसमं चउत्थमभिचंदे / __ तत्तो य पसेणइए, मरुदेवे चेव णाभी य॥१॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में भारतवर्ष में इस अवसर्पिणी में सात कुलकर हुए हैं / जैसे१. विमलवाहन, 2. चक्षुष्मान्, 3. यशस्वी, 4. अभिचन्द्र, 5. प्रसेनजित्, 6. मरुदेव, 7. नाभि (62) / ६३-एएसि णं सत्तण्हं कुलगराणं सत्त भारियानो हुत्था, तं जहा चंदजस चंदकता, सुरूव पडिरूव चक्खुकंता य / सिरिकता मरुदेवी, कुलकरइत्थीण णामाई // 1 // इन सातों कुलकरों की सात भार्याएं थीं / जैसे१. चन्द्रयशा, 2. चन्द्रकान्ता, 3. सुरूपा, 4. प्रतिरूपा, 5. चक्षुष्कान्ता, 6. श्रीकान्ता, 7. मरुदेवी (63) / ६४--जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे प्रागमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलकरा मविस्संति मित्तवाहण सुभोमे य, सुप्पभे य सयंपभे। दत्त सुहमें सुबंधू य, प्रागमिस्सेण होक्खती // 1 // जम्बूद्वीप नामक द्वीप के भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में सात कुलकर होंगे / जैसे१. मित्रवाहन, 2. सुभौम, 3. सुप्रभ. 4. स्वयम्प्रभ, 5. दत्त, 6. सूक्ष्म, 7. सुबन्धु (64) / ६५–विमलवाहणे णं कुलकरे सत्तविधा रुक्खा उवभोगत्ताए हव्वमार्गाच्छसु, तं जहा मतंगया य भिंगा, चित्तंगा चेव होंति चित्तरसा।। मणियंगा य अणियणा, सत्तमगा कप्परुक्खा य // 1 // विमलवाहन कुलकर में समय के सात प्रकार के (कल्प-) वृक्ष निरन्तर उपभोग में आते थे। जैसे 1. मदांगक, 2. भृग, 3. चित्रांग, 4. चित्ररस, 5. मण्यंग, 6. अनग्नक, 7. कल्पवृक्ष / (65) ६६–सत्तविधा दंडनीती पण्णत्ता, तं जहा-हक्कारे, मक्कारे, धिक्कारे, परिभासे, मंडलबंधे, चारए, छविच्छेदे। दण्ड नीति सात प्रकार की कही गई है / जैसे--- 1. हाकार-हा! तूने यह क्या किया? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org