________________ 548 ] [स्थानाङ्गसूत्र ४६-एवं मणुस्स-देवाण वि / इसी प्रकार मनुष्यों और देवों के भी छह-छह लेश्याएँ जाननी चाहिए (46) / अनमहिसी-सूत्र ५०-सक्कस्स णं देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो छ अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो। देवराज देवेन्द्र शक के लोकपाल सोम महाराज की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं (50) / ५१--सक्कस्स णं देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो छ अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो। देवराज देवेन्द्र शक्र के लोकपाल यम महाराज की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं (51) / स्थिति-सूत्र ५२-ईसाणस्स णं देविंदस्स [देवरग्णो ? ] मज्झिमपरिसाए देवाणं छ पलिग्रोवमाई ठिती पण्णत्ता। देवराज देवेन्द्र ईशान की मध्यम परिषद् के देवों की स्थिति छह पल्योपम कही गई है (52) / महतरिका-सूत्र ५३-छ दिसाकुमारिमहत्तरियानो पण्णत्तानो, त जहा-रूवा, रूवंसा, सुरूवा, रूववती, रूवकता, रूवप्पभा। दिक्कुमारियों की छह महत्तरिकाएँ कही गई हैं / जैसे-- 1. रूपा, 2. रूपांशा, 3. सुरूपा, 4. रूपवती, 5. रूपकान्ता, 6. रूपप्रभा (53) / ५४--छ विज्जुकुमारिमहत्तरियानो पण्णत्ताओ, त जहा-अला, सक्का, सतेरा, सोतामणी इंदा, घणविज्जुया। विद्युत्कुमारियों की छह महत्तरिकाएँ कही गई हैं / जैसे 1. अला, 2 शक्रा, 3. शतेरा, 4. सौदामिनी, 5. इन्द्रा, 6. घनविद्य त् (54) / अग्रमहिषो-सूत्र ५५–धरणस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसोप्रो पण्णत्तानो, त जहा-- अला, सक्का, सतेरा, सोतामणी, इंदा, घणविज्जुया। नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं / जैसे१. अला (माला), 2. शक्रा, 3. शतेरा, 4. सौदामिनी, 5. इन्द्रा, 6. धनविद्य त् (75) / ५६-भूताणंदस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, त जहा-रूवा, रूवंसा, सुरूवा, रूववती, रूवकता, रूवप्पमा। नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र भूतानन्द की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं / जैसे१. रूपा, 2. रूपांशा, 3. सुरूपा, 4. रूपवती, 5. रूपकान्ता, 6. रूपप्रभा (56) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org