________________ चतुर्थ स्थान-चतुर्थ उद्देश ] 2. श्रेयान् और पापीयान्–कोई पुरुष सद्-ज्ञान की अपेक्षा तो श्रेयान् होता है, किन्तु ___ कदाचार की अपेक्षा पापीयान् (अत्यन्त पापी) होता है। 3. पापीयान् :और श्रेयान्-कोई पुरुष कु-ज्ञान की अपेक्षा पापीयान् होता है, किन्तु सदाचार की अपेक्षा श्रेयान् होता है / 4. पापीयान् और पापीयान्—कोई पुरुष कुज्ञान की अपेक्षा भी पापीयान् होता है और कदाचार की अपेक्षा भी पापीयान् होता है / (523) ५२४–चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए, सेयंसे णाममेगे पावंसेत्तिसालिसए, पावसे गाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए, पावंसे णाममेगे पावंसेत्तिसालिसए / पुन: पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. श्रेयान् और श्रेयान्सदृश-कोई पुरुष सद्-ज्ञान की अपेक्षा श्रेयान् होता है, किन्तु सदाचार की अपेक्षा द्रव्य से श्रेयान के सदश है, भाव से नहीं। 2. श्रेयान् और पापीयानसदृश-कोई पुरुष सद्-ज्ञान की अपेक्षा श्रेयान् होता है, किन्तु ___सदाचार की अपेक्षा द्रव्य से पापीयान् के सदृश होता है, भाव से नहीं। 3. पापीयान् और श्रेयान्सदृश-कोई पुरुष कुज्ञान की अपेक्षा पापीयान् होता है, किन्तु सदाचार की अपेक्षा द्रव्य से श्रेयान्-सदृश होता है, भाव से नहीं / 4. पापीयान् और पापीयान् सदृश-कोई पुरुष कुज्ञान की अपेक्षा पापीयान् होता है और __कदाचार की अपेक्षा द्रव्य से पापीयान् सदृश होता है, भाव से नहीं / (524) ५२५-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति मणति, सेयंसे णाममेगे पावंसेत्ति मण्णति, पावंसे गाममेगे सेयंसेत्ति मण्णति, पावसे गाममेगे पावंसेत्ति मण्णति / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. श्रेयान् और श्रेयान्मन्य-कोई पुरुष श्रेयान् होता है और अपने आपको श्रेयान् मानता है। 2. श्रेयान् और पापीयान्-मन्य-कोई पुरुष श्रेयान् होता है, किन्तु अपने आपको पापीयान् मानता है। 3. पापीयान् और श्रेयान्मन्य-कोई पुरुष पापीयान् होता हैं, किन्तु अपने आपको श्रेयान् मानता है। 4. पापीयान् और पापीयान्मन्य–कोई पुरुष पापीयान् होता है और अपने आपको पापीयान् ही मानता है। (525) ५२६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए मण्णति, सेयंसे णाममेगे पावंसेत्तिसालिसए मण्णति, पावंसे णाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए मण्णति, पावंसे णाममेगे पावंसेत्तिसालिसए मण्णति / पुन: पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. श्रेयान् और श्रेयान्-सदृशम्मन्य-कोई पुरुष श्रेयान् होता है और अपने आपको श्रेयान् के सदृश मानता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org