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________________ चतुर्थ स्थान-तृतीय उद्देश ] / 383 क्योंकि इन चारों ही कायों के जीवों में एक-एक जीव के शरीर की अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग कहीं गई है / इतने छोटे शरीर का दिखना नेत्रों से सम्भव नहीं है। हां, अनुमानादि प्रमाणों से उनका जानना सम्भव है। इन्द्रियार्थ-सूत्र ४६७-चत्तारि इंदियस्था पुट्ठा वेदेति, तं जहा-सोइंदियत्थे, धाणिदियत्थे, जिभिदियत्थे, फासिदियत्थे। चार इन्द्रियों के अर्थ (विषय) स्पृष्ट होने पर ही अर्थात् इन विषयों का उनकी ग्राहक इन्द्रिय के साथ संयोग होने पर ही ज्ञान होता है जैसे--- 1. श्रोत्रेन्द्रिय का विषय-शब्द, 2. घ्राणेन्द्रिय का विषय--गन्ध, 3. रसनेन्द्रिय का विषय--रस, और 4. स्पर्शनेन्द्रिय का विषय-स्पर्श / (चक्षु-इन्द्रिय रूप के साथ संयोग हुए विना ही अपने विषय-रूप को देखती है) (467) / अलोक-अगमन--सूत्र ४६८-चउहि ठाणेहिं जीवा य पोग्गला य णो संचाएंति बहिया लोगंता गमणयाए, तं जहा—गतिप्रभावेणं, णिरुवग्गयाए, लुक्खताए, लोगाणुभावेणं। चार कारणों से जीव और पुद्गल लोकान्त से बाहर गमन करने के लिए समर्थ नहीं हैं। जैसे 1. गति के प्रभाव से—लोकान्त से आगे इनका गति करने का स्वभाव नहीं होने से / 2. निरुपग्रहता से-धर्मास्तिकाय रूप उपग्रह या निमित्त कारण का प्रभाव होने से। 3. रूक्ष होने से लोकान्त में स्निग्ध पुद्गल भी रूक्ष रूप से परिणत हो जाते हैं, जिससे उनका आगे गमन सम्भव नहीं। तथा कर्म-पुद्गलों के भी रूक्ष रूप से परिणत हो जाने के कारण संसारी जीवों का भी गमन सम्भव नहीं रहता / सिद्ध जीव धर्मास्तिकाय का अभाव होने से लोकान्त से आगे नहीं जाते। 4. लोकानुभाव से-लोक की स्वाभाविक मर्यादा ऐसी है कि जीव और पुद्गल लोकान्त से आगे नहीं जा सकते (468) / ज्ञात-सूत्र ४६६-चउविहे गाते पण्णते, त जहा--आहरणे, प्राहरणत(से, आहरणतदोसे, उवण्णासोवणए। ज्ञात (दृष्टान्त) चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. प्राहरण—सामान्य दृष्टान्त / 2. आहरण तद्देश-एक देशीय दृष्टान्त / 3. आहरण तद्दोष-साध्यविकल आदि दृष्टान्त / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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