________________ स्थानांग का चतुर्थ सूत्र "एगा किरिया" है।'४१ समवायांग' 42 में भी इसका शब्दश: उल्लेख है। भगवनी 43 और प्रज्ञापना१४४ में भी क्रिया के सम्बन्ध में वर्णन है। स्थानांग 145 में पाँचवाँ सूत्र हैं—'एगे लोए" ! समवायांग 146 में भी इसी तरह का पाठ है / भगवती१४७ और प्रौपपातिक 148 में भी यही स्वर मुखरित हसा है। स्थानांग१४६ में सातवाँ सुत्र है—एगे धम्मे / समवायांग१५० में भी यह पाठ इसी रूप में मिलता है। सूत्रकृतांग और भगवती१५२ में भी इसका वर्णन है। स्थानांग१५३ का पाठवाँ सूत्र है--"एगे अधम्मे। समवायांग 54 में यह सूत्र इसी रूप में मिलता है / सूत्रकृतांग 155 और भगवती१५६ में भी इस विषय को देखा जा सकता है। स्थानांग१५० का ग्यारहवां सूत्र हैं—'एगे पुण्णे' / समवायांग 158 में भी इसी तरह का पाठ है, सूत्रकृतांग'१६ और प्रौपपातिक 160 में भी यह विषय इसी रूप में मिलता है। स्थानांग१६१ का बारहवाँ सूत्र हैं-'एगे पावे' ! समवायांग 162 में यह सूत्र इसी रूप में पाया है। सुत्रकृतांग 163 और ग्रौपपातिक 164 में भी इस का निरूपण हया है। 141. स्थानांग अ. 1 सूत्र 4 142. समवायांग सम. 1 सूत्र 5 143. भगवती शतक 1 उद्दे. 6 184. प्रज्ञापना सूत्र पद 16 145. स्थानांण अ. 1 सूत्र-५ 146. समवायांग सम-१ सूत्र 7 147. भगवती शत. 12 उ. 7 सूत्र 7 148. औपपातिक सूत्र-५६ 149. स्थानांग अ.१ सूत्र 7 150. समवायांग सम. 1 सूत्र-९ 151. सूत्रकृतांग श्रु. 2 अ. 5 152. भगवती शत. 20 उ. 2 153. स्थानांग अ. 1 सूत्र 8 154. समवायांग सम. 1 सूत्र-१० 155. सूत्रकृतांग श्रु. 2 अ. 5 156. भगवती शत. 20 उ. 2 157. स्थानांग अ. 1 सू० 11 158. समवायांग सम. १सू. 11 159. सूत्रकृतांग-श्रु . 2 अ. 5 160. औपपातिक-सूत्र-३४ 161. स्थानांग सूत्र अ. 1 सूत्र-१२ 162. समवायांग 1 सूत्र 12 163. सूत्रकृतांग श्रु. 2 अ. 5 164. औपपातिक सूत्र 34 [ 43 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org