________________ 346 ] [ स्थानाङ्गसूत्र 2. दृढ़धर्मा, न प्रियधर्मा-कोई पुरुष स्वीकृत धर्म के पालन में दृढ़ तो होता है, किन्तु * अन्तरंग से उसे वह धर्म प्रिय नहीं होता। 3. प्रियधर्मा, दृढ़धर्मा-किसी पुरुष को धर्म प्रिय भी होता है और वह उसके पालन में भी दृढ़ होता है। 4. न प्रियधर्मा, न दृढ़धर्मा-किसी पुरुष को न धर्म प्रिय होता है और न उसके पालन में ही दृढ़ होता है (421) / आचार्य-सूत्र ४२२-चत्तारि पायरिया पण्णत्ता, तं जहा-पव्वावणारिए णाममेगे णो उवट्ठावणारिए, उवदावणायरिए णाममेगे णो पव्वावणायरिए, एगे पव्वावणायरिएवि उवट्ठावणायरिए वि, एगे णो पव्यावणायरिए णो उवट्ठावणायरिए-धम्मारिए / प्राचार्य चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे-- 1. प्रव्राजनाचार्य, न उपस्थापनाचार्य-कोई आचार्य प्रव्रज्या (दीक्षा) देने वाले होते हैं, किन्तु उपस्थापना (महाव्रतों की प्रारोपणा करने वाले) नहीं होते। 2. उपस्थापनाचार्य, न प्रव्राजनाचार्य--कोई प्राचार्य महाव्रतों की उपस्थापना करने वाले होते हैं, किन्तु प्रव्राजनाचार्य नहीं होते।। 3. प्रव्राजनाचार्य, उपस्थापनाचार्य--कोई आचार्य दीक्षा देने वाले भी होते हैं, और उप स्थापना करने वाले भी होते हैं। 4. न प्रवाजनाचार्य, न उपस्थापनाचार्य--कोई प्राचार्य न दीक्षा देने वाले ही होते हैं और न उपस्थापना करने वाले ही होते हैं, किन्तु धर्म के प्रतिबोधक होते हैं, वह चाहे गृहस्थ हो चाहे साधु (422) / ४२३-चत्तारि पायरिया पण्णत्ता, तं जहा-उद्देसणायरिए णाममेगे जो वायणायरिए, वायणायरिए णाममेगे णो उद्देसणायरिए, एगे उद्देसणारिएवि वायणायरिएवि, एगे जो उद्देसणारिए णो वायणायरिए-धम्मारिए। पुनः प्राचार्य चार प्रकार के कहे गये हैं जैसे-- 1. उद्देशनाचार्य, न वाचनाचार्य---कोई प्राचार्य शिष्यों को अंगसूत्रों के पढ़ने का आदेश __ देने वाले होते हैं, किन्तु वाचना देने वाले नहीं होते। 2. वाचनाचार्य, न उद्देशनाचार्य-कोई आचार्य वाचना देने वाले होते हैं, किन्तु पठन-पाठन का आदेश देने वाले नहीं होते। 3. उद्देशनाचार्य, वाचनाचार्य- कोई प्राचार्य पठन-पाठन का प्रादेश भी देते हैं और वाचना देने वाले भी होते हैं। 4. न उद्देशनाचार्य, न बाचनाचार्य-कोई प्राचार्य न पठन-पाठन का प्रादेश देने वाले होते हैं और न वाचना देने वाले ही होते हैं। किन्तु धर्म का प्रतिबोध देने वाले होते हैं (423) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org