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________________ 252 ] [ स्थानाङ्गसूत्र १७५-चंदस्स गं जोतिसिदस्स जोतिसरण्णो चत्तारि अगमहिसोमो पण्णत्तामो, तं जहा--चंदप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा। ज्योतिष्कराज ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे१. चन्द्रप्रभा, 2. ज्योत्स्नाभा, 3. अचिमालिनी, 4. प्रभंकरा (175) / १७६--एवं सूरस्सवि, णवरं-सूरप्पभा, दोसिणामा, अच्चिमाली, पभंकरा। इसी प्रकार ज्योतिष्कराज ज्योतिष्केन्द्र सूर्य की भी चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। केवल नाम इस प्रकार हैं-१. सूर्यप्रभा 2. ज्योत्स्नाभा, 3. अचिमिलिनी, 4. प्रभंकरा (176) / १७७-इंगालस्स णं महागहस्स चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा--विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया। महाग्रह अंगार की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे१. विजया, 2. वैजयन्ती, 3. जयन्ती, 4. अपराजिता (177) / १७८--एवं सन्वेसि महग्गहाणं जाव भावकेउस्स / इसी प्रकार भावकेतु तक के सभी महाग्रहों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (178) / १७६-सक्कस्स गं देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णताम्रो, तं जहा–रोहिणी, मयणा, चित्ता, सामा। देवराज देवेन्द्र शक्र के लोकपाल महाराज सोम की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे१. रोहिणी, 2, मदना, 3. चित्रा, 4. सोमा (176) / 180 --एवं जाव वेसमणस्स। इसी प्रकार वैश्रवण तक के सभी लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (180) / १८१--ईसाणस्स णं देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णतारो, तं जहा---पुढवी, रातो, रयणी, विज्जू / देवराज देवेन्द्र ईशान के लोकपाल महाराजा सोम की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे१. पृथ्वी, 2. रात्रि, 3. रजनी, 4. विद्य त् (181) / १८२--एवं जाव वरुणस्स / इसी प्रकार वरुण तक के सभी लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (182) / विकृति-सूत्र १८३-चत्तारि गोरसविगतीनो पण्णत्तानो, तं जहा-खीरं, दहि, सप्पि, णवणीतं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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