________________ ॐ अहं जिनागम-ग्रन्थमाला : ग्रन्थाः -7 [ परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्रीजोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित ] पंचम गणधर भगवत्सुधर्म-स्वामि-प्रणीत तृतीय अंग स्थानांगसूत्र [ मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन, परिशिष्ट युक्त ] सन्निधि / उपप्रवर्तक शासनसेवी स्वामी श्रीवजलालजी महाराज संयोजक तथा प्रधान सम्पादक युवाचार्य श्रीमिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' अनुवादक-विवेचक - पं. हीरालाल शास्त्री प्रकाशक / श्री आगमप्रकाशन-समिति, ब्यावर, राजस्थान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org