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________________ 214 [ स्थानाङ्गसूत्र 3. कोई पुरुष असत्य (असत्यभाषी) किन्तु सत्य-परिणत होता है। 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य-परिणत होता है (36) / 37 चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चस्वे, सच्चे णामं एगे असच्चरूवे, असच्चे णामं एगे सच्चरूवे, असच्चे णाम एगे असच्चरूवे। पुनः पुरुष चार प्रकार के होते हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य रूप वाला होता है। 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य रूप वाला होता है। 3. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य रूप वाला होता है / 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य रूप वाला होता है (37) / ३८-चतारि पुरिसजाया त जहा--सच्चे णाम एगे सच्चमणे, सच्चे णामं एगे असच्चमणे, असच्चे गामं एगे सच्चमणे, असच्चे णाम एगे असच्चमणे / पुनः पुरुष चार प्रकार के होते हैं ! जैसे-- 1. कोई पुरुष सत्य और सत्य मनवाला होता है। 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य मनवाला होता है। 3. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य मनवाला होता है / 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य मनवाला होता है (38) / ३६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, त जहा-सच्चे गाम एगे सच्चसंकप्पे, सच्चे णामं एगे असच्चसंकप्पे, प्रसच्चे णाम एगे सच्चसंकप्पे, असच्चे णाम एगे असच्चसंकप्पे / पुन: पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे-- 1. कोई पुरुष सत्य और सत्य संकल्प वाला होता है। 2. कोई पुरुष सत्य किन्तु असत्य संकल्प वाला होता है। 3. कोई पुरुष असत्य किन्तु सत्य संकल्प वाला होता है। 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य संकल्प वाला होता है (36) / ४०-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-सच्चे णामं एगे सच्चपण्णे, सच्चे णाम एगे असच्चपण्णे, असच्चे गाम एगे सच्चपण्णे, असच्चे णामं एगे असच्चपणे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य प्रज्ञा वाला होता है। 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य प्रज्ञा वाला होता है / 3. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य प्रज्ञा वाला होता है / 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य प्रज्ञावाला होता है (40) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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