________________ 212] [स्थानाङ्गसूत्र पुन: पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे--- 1. कोई पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध संकल्प वाला होता है। 2. कोई पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध संकल्प वाला होता है / 3. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध संकल्प वाला होता है / 4. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध संकल्प वाला होता है (28) / २६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुद्ध णाम एगे सुद्धपण्णे, सुद्ध णाम एगे असुद्धपणे, असुद्ध णामं एगे सुद्धपण्णे, असुद्ध णामं एगे असुद्धपण्णे। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध प्रज्ञा वाला होता है। 2. कोई पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध प्रज्ञा वाला होता है / 3. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध प्रज्ञा वाला होता है / 4. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध प्रज्ञा वाला होता है (26) / ३०-चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-सुद्ध' णाम एगे सुद्ध दिट्ठी, सुद्ध णाम एगे असुद्धदिट्ठी, असुद्ध णामं एगे सुद्धदिट्ठी, असुद्ध णाम एगे असुद्धदिट्ठी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध दृष्टिवाला होता है / 2. कोई पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध दृष्टिवाला होता है / 3. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध दृष्टिवाला होता है / 4. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध दृष्टिवाला होता है (30) / ३१-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुद्ध णाम एगे सुद्धसीलाचारे, सुद्धणाम एगे प्रसुद्धसोलाचारे, असुद्ध णाम एगे सुद्धसोलाचारे, असुद्ध णामं एगे असुद्धसीलाचारे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध शील-आचार वाला होता है। 2. कोई पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध शील-प्राचार वाला होता है। 3. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध शील-प्राचार वाला होता है / 4. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध शील-प्राचार वाला होता है (31) / ३२-चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-सुद्ध णाम एगे सुद्धववहारे, सुद्धणाम एगे असुद्धववहारे, प्रसुद्ध णामं एगे सुद्धववहारे, प्रसुद्ध णामं एगे असुद्धववहारे। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे---- 1. कोई पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध व्यवहारवाला होता है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org