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________________ तृतीय स्थान-तृतीय उद्देश ] [ 167 ४०७--अण्णाणकिरिया तिविधा पण्णत्ता, तं जहा–मतिअण्णाणकिरिया, सुतअण्णाणकिरिया, विभंगप्रणाणकिरिया। अज्ञानक्रिया तीन प्रकार की कही गई है—मति-अज्ञानक्रिया, श्रुत-अज्ञानक्रिया और विभंग-अज्ञानक्रिया (407) / विवेचन-इन्द्रिय और मन से उत्पन्न होने वाले ज्ञान को मतिज्ञान कहते हैं। प्राप्त वाक्यों के श्रवण-पठनादि से उत्पन्न होने वाले ज्ञान को श्र तज्ञान कहते हैं। इन्द्रिय और मन को अपेक्षा के विना अवधिज्ञानावरण कर्म के क्षयोपशम से उत्पन्न होने वाले भूत भविष्यकालान्तरित एवं देशान्तरित वस्तु के जानने वाले सीमित ज्ञान को अवधिज्ञान कहते हैं। मिथ्यादृष्टि जीव के होने वाले ये तीनों ज्ञान क्रमश: मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंग-अज्ञान कहे जाते हैं / ४०८-प्रविणए तिविहे पण्णते, तं जहा–देसच्चाई, णिरालवणता, णाणापेज्जदोसे / अविनय तीन प्रकार का कहा गया है१. देशत्यागी स्वामी को गाली प्रादि देके देश को छोड़ कर चले जाना। 2. निरालम्बन—गच्छ या कुटुम्ब को छोड़ देना या उससे अलग हो जाना। 3. नानाप्रेयोद्वषी-नाना प्रकारों से लोगों के साथ राग-द्वेष करना (408) / ४०६-प्रणाणे तिविधे पण्णत्ते, तं जहा–देसण्णाणे, सव्वण्णाणे, भावण्णाणे। अज्ञान तीन प्रकार का कहा गया है१. देश-प्रज्ञान-ज्ञातव्य वस्तु के किसी एक अंश को न जानना / 2. सर्व-अज्ञान-ज्ञातव्य वस्तु को सर्वथा न जानना / 3. भाव-अज्ञान-वस्तु के अमुक ज्ञातव्य पर्यायों को नहीं जानना (406) / धर्म-सूत्र ४१०–तिविहे धम्मे पण्णत्ते, तं जहा-सुयधम्मे, चरित्तधममे, अस्थिकायघम्मे / धर्म तीन प्रकार का कहा गया है१. श्रुत-धर्म-वीतराग-भावना के साथ शास्त्रों का स्वाध्याय करना। 2. चारित्र-धर्म-मुनि और श्रावक के धर्म का परिपालन करना। 3. अस्तिकाय-धर्म-प्रदेश वाले द्रव्यों को अस्तिकाय कहते हैं और उनके स्वभाव को अस्तिकाय-धर्म कहा जाता है (410) / उपक्रम सूत्र ४११-तिविधे उवक्कमे पण्णते, तं जहा–धम्मिए उवक्कम, अधम्मिए उवकम्मे, धम्मियापम्मिए उवरकमे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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