SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [स्थानाङ्गसूत्र जहा--ण हणामीतेगे सुमणे भवति, ण हणामीतेगे दुम्मणे भवति, ण हणामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 218 - तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–ण हणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण हणिस्सामोतेगे दुम्मणे भवति, ण हणिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-- कोई पुरुष नहीं मारकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं मारकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं मारकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (216) / पतः परुष तीन प्रकार के कहे गये हैं कोई परुष 'नहीं मारता है इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं मारता हूं इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'नहीं मारता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (217) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं -कोई पुरुष 'नहीं मारूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं मारू गा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'नहीं मारूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (218) / ] २१६-[तो पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-छिदित्ता णामेगे सुमणे भवति, छिदित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, छिदित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २२०–तप्रो-पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–छिदामीतेगे सुमणे भवति, छिदामीतेगे दुम्मणे भवति, छिदामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २२१-तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तजहा–छिदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, छिदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, छिदिस्सामीतेगे जोसमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये है- कोई पुरुष छेदन करके सुमनस्क होता है। कोई पुरुष छेदन करके दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष छेदन करके न सुमनस्क होता है और न दुर्भनस्क होता है (216) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'मैं छेदन करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'मैं छेदन करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'मैं छेदन करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (220) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'मैं छेदन करूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं छेदन करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'मैं छेदन करूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (221) / ] २२२--[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-अछिदित्ता णामेगे सुमणे भवति, अछिदित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अछिदित्ता णामेगे जोसमणे-णोदुम्मणे भवति / 223 -- तनो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा----ण छिदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण छिदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ग छिदिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २२४–तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-ण छिदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण छिदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण छिदिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'छेदन नहीं कर' सुमनस्क होता है, कोई पुरुष 'छेदन नहीं कर' दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'छेदन नहीं कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (222) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के होते हैं--कोई पुरुष 'छेदन नहीं करता हूं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy