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________________ द्वितीय स्थान-तृतीय उद्देश ] [71 ३०६-जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाइं उड्डे उच्चत्तेणं होत्था, दोणि य पलिग्रोवमाइं परमाउं पाल इत्था। ३०७—एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव पालइत्था / ३०८–एवमागमेस्साए उस्सप्पिणीए जाव पालयिस्संति / जम्बूद्वीपनामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सपिणो के सुषमा नामक पारे में मनुष्यों की ऊंचाई दो गव्यूति (कोश) की थी और उनकी उत्कृष्ट प्रायु दो पल्योपम की थी (306) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत और ऐरक्त क्षेत्र में वर्तमान अवसर्पिणी के सुषमा नामक आरे में मनुष्यों की ऊंचाई दो गव्यूति (कोश) की थी और उनकी उत्कृष्ट आयु दो पल्योपम की थी (307) / इसी प्रकार यावत् आगामी उत्सर्पिणी के सुषमा नामक पारे में मनुष्यों की ऊँचाई दो गव्यूति (कोश) और उत्कृष्ट प्रायु दो पल्योपम की होगी (308) / शलाका-पुरुष-वंश-पद ३०६--जंबुद्दोवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु 'एगसमये एगजुगे' दो अरहंतबंसा उपज्जिसु वा उप्पज्जंति वा उपज्जिस्संति वा / ३१०--जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमये एगजुगे दो कवद्रिवंसा उपज्जिस वा उप्पज्जति वा उपज्जिासंति वा / ३११-जंबहीवे दीवे भरहेरवएस वासेसु एगसमये एगजुगे दो दसारवंसा उपज्जिसु वा उप्पज्जंति वा उपज्जिस्संति वा। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्र में एक समय में, एक युग में अरहन्तों के दो वंश उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (306) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत क्षेत्र और ऐरवत क्षेत्र में एक समय में, एक युग में चक्रवतियों के दो वंश उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (310) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्र में एक समय में एक युग में दो दशार--(बलदेव-वासुदेव) वंश उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (311) / शलाका-पुरुष-पद ३१२--जंबुद्दीवे दोवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमये एगजुगे दो अरहंता उपज्जिसु वा उप्पज्जंति वा उपज्जिस्संति वा। 313- जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमये एगजुगे दो चक्कवट्टी उपज्जिसु वा उप्पज्जंति वा उपज्जिस्संति वा। ३१४-जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमये एगजुगे दो बलदेवा उपज्जिसु वा उप्पज्जति वा उपज्जिस्संति वा। ३१५-जंबुद्दीवे दोवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमये एगजुगे दो वासुदेवा उप्पग्जिसु वा उप्पज्जति वा उप्पज्जिस्संति वा।। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में, भरत और ऐरवत क्षेत्र में, एक समय में एक युग में दो अरहन्त उत्पन्न हए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (312) / जम्बूद्वीप नामक द्वीप में, भरत और ऐरवत क्षेत्र में, एक समय में, एक युग में दो चक्रवर्ती उत्पन्न हए थे. उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (313) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्र में एक समय में एक युग में दो बलदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (314) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्र में एक समय में एक युग में दो वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (315) / कालानुभाव-पद ३१६-जंबुद्दीवे दीवे दोसु कुरासु मणुया सया सुसमसुसममुत्तमं इड्डि पत्ता पच्चणुभवमाणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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