________________ सूत्रकृतांग सूत्र-प्रथम भुसस्कन्ध ऋम गाथा संख्या सुभाषित 146 152 153 156 . 160 161 216 wr . om m mr mm m 236 245 254 257 मा पच्छ असाहया भवे, अच्चेही अणुसास अप्पगं। ण य संखयमाहु जीवियं / अद्दक्खुब दक्खुवाहित, सद्दहसू अद्दकखुदसणा। एगस्स गती य आगती, वि दुमं ता सरणं न मन्नती। सब्वे सयकम्मकप्पिया। इणमेव खणं वियाणिया, णो सुलभं बोहि च आहितं / नातिकडुइत सेय अरुयस्सावरज्झती। मा एयं अवमानता अप्पेणं लुपहा बहुं / इत्थी वसंगता बाला जिणसासणपरम्मुहा / जेहिं काले परक्कतं न पच्छा परितप्पए / ते धीरा बंधणुम्मुक्का नावखंति जीवियं। जहा नदी वेयरणी दुत्तरा इह सम्मता / एवं लोगंसि नारीओ दुत्तरा अमतीमता // कुज्जा भिक्खू गिलाणस्स अगिलाए समाहिते। सीहं जहा व कुणिमेणं णिब्भयमेगचरं पासेणं / एवित्थिया उ बंधंति, संवुडं एगतियमणगारं / / तम्हा उ वज्जए इत्थी, विसलित व कंटग शच्चा। वायावीरियं कुसीलाणं / अन्नं मणेण चितेंति, अन्न वायाइ कम्मुणा अन्नं / तम्हा ण सद्दहे भिक्खू, बहुमायाओ इथिओ णच्चा / / बालस्स मंदयं बितियं, जं च कडं अवजाणई भुज्जो / जहा कडे कम्म तहा सि भारे। बाला जहा दुक्कडकम्मकारी, वेदेति कम्माई पुरेकडाइं / जं जारिसं पुब्बमकासि कम्म, तहेव आगच्छति संपराए। दाणाण सेठं अभयप्पदाणं, सच्चेसु वा अणवज्ज वदंति / तवेसु वा उत्तम बंभचेर, लोउत्तमे समणे नायपुते // सकम्मुणा विप्परियासुवेति / / उदगस्स फासेण सिया य सिद्धी सिज्झिसु पाणा बहवे दगंसि / कुलाई जे धावति साउगाई, अहाह से सामणियरस दूरे / नो पूयणं तवसा आवहेज्जा / भारस्स जाता मुणि भुञ्जएज्जा, कखज्ज पावस्स विवेग भिक्ख / वेराइ कुब्वती बेरी, ततो वेरेहिं रज्जती / पावोवंगा य आरंभा, दुक्खफासा य अंतसो॥ 263 270 275 325 327 346 374 361 364 403 407 406 417 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org