________________ 303 द्वितीय उद्देशक : गाथा 327 से 334 331. बाला ब्ला भूमिमणोक्कमंता, पविज्जलं लोहपहं व तत्तं। जंसोऽभिदुग्गंसि पवज्जमाणा, पेसे व दंडेहि पुरा करेंति // 5 // 332. ते संपगाढंसि पवज्जमाणा, सिलाहि हम्मंतिऽभिपातिणीहि / संतावणो नाम चिरद्वितीया, संतप्पति जत्थ असाहुकम्मा // 6 // 333. कंदूसु पक्खिप्प पयंति बालं, ततो विडड्ढा पुणरुप्पतति / ते उड्डकाएहि पखज्जमाणा, अवरेहि खज्जति सणप्फएहि // 7 // 334. समूसितं नाम विधुमठाणं, जे सोगतत्ता कलुणं थणंति / अहो सिरं कट्ट, वित्तिऊणं, अयं व सत्थेहि समोसवेति // 8 // 335. समूसिया तत्थ विसूणितंगा, पक्खोहि खजति अयोमुहेहि / संजीवणी नाम चिरद्वितीया, जंसि पया हम्मति पावचेता / / 6 // 336. तिक्खाहि सलाहि भितावयंति, वसोवगं सोअरियं व लद्ध। ते सूलविद्धा कलुणं थणंति, एगंतदुक्खं दुहओ गिलाणा // 10 // 337. सदा जलं ठाण निहं महंत, जंसी जलती अगणी अकट्ठा / चिळंती तत्था बहुकूरकम्मा, अरहस्सरा केइ चिरद्वितीया / / 11 // 338. चिता महंतीउ समारभित्ता, छुम्भंति ते तं कलुणं रसंतं / आवट्टति तत्थ असाहुकम्मा, सप्पि जहा पतितं जोतिमझे // 12 // 336. सदा कसिणं पुण धम्मठाणं, गाढोवणीयं अतिदुक्खधम्म / हत्थेहिं पाएहि य बंधिऊणं, सत्तुं व दंडेहि समारभंति // 13 // 340. भजति बालस्स वहेण पछि, सोसं पि भिदंति अयोधणेहि / ते मिन्नदेहा व फलगावतट्ठा, तत्ताहिं आराहि णियोजयंति // 14 // 341. अभिजुजिया रुद्द असाहुकम्मा, उसुचोदिता हत्थिवह वहति / एग दुरुहित्तु दुए तयो वा, आरुस्स विझंति ककाणओ से // 15 // 342. बाला बला भूमि अणोक्कमंता, पबिज्जलं कंटइल महतं / विबद्ध तप्पेहि विवष्णचित्ते, समीरिया कोट्ट बलि करेंति // 16 // 343. वेतालिए नाम महभितावे, एगायते पव्वतमंतलिक्खे / हम्मति तत्था बहुकूरकम्मा, परं सहस्साण मुहत्तगाणं // 17 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org