________________ आचारांग सूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध योगमाया देवकी का गर्भ रोहिणी के गर्भ में रख देती है। तब पुरवासी लोग अत्यन्त दुःख के साथ कहने लगे-'हाय ! बेचारी देवकी का गर्भ नष्ट हो गया / "1 ___वैज्ञानिकों ने भी परीक्षण करके गर्भ-परिवर्तन को सम्भव माना है। गुजरात ववियूलर सोसाइटी द्वारा प्रकाशित जीव विज्ञान (पृ० 43) में इस घटना को प्रमाणित करने वाला एक वर्णन दिया गया है-एक अमेरिकन डॉक्टर को एक गर्भवती भाटिया महिला का ऑपरेशन करना था। डॉक्टर ने एक गर्भिणी बकरी का पेट चीर कर उसके पेट का बच्चा एक विद्युत संचालित डिब्बे में रखा, और उस स्त्री के पेट का बच्चा बकरी के पेट में / ऑपरेशन कर चुकने के बाद डॉक्टर ने स्त्री का बच्चा स्त्री के पेट में और बकरी का बच्चा बकरी के पेट में रख दिया / कालान्तर में स्त्री और बकरी ने जिन बच्चों को जन्म दिया, वे स्वस्थ एवं स्वाभाविक रहे / भगवान महावीर का जन्म 736. तेणं कालेणं तेणं समएणं तिसिला खतियाणी अह अण्णदा कदायो णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण राइंदियाणं बीतिकंताण जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चेतसुद्ध तस्स णं चेत्तसुद्धस्स तेरसीपवखणं हत्थुत्तराहि णक्खत्तेणं जोगोवगतेणं समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूता। 737. जणं राति तिसिला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूता तं णं राइ भवणवति-वाणमंतर-जोतिसिय-विमाणवासिदेवेहि य देवोहि य ओवयंतेहि य उप्पयंतेहि य संपयंतेहि य एगे महं दिध्वे देवुज्जोते देवसं णिवाते देवकहक्कहए उप्पिजलगभूते यावि होत्था / 738. जंणं रणि तिसिला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूता तं णं रणि बर्वे देवा य देवोओ य एगं महं अमयवासं च गंधवासं च चुण्णवासं च पुष्फवासं च हिरण्णवासं च रयणवासं च वासिसु / 736. जं गं रणि तिसिला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं अरोगा अरोगं पसूता तं णं रणि भवणवति-वाणमंतर-जोतिसिय-विमाणवासिणो देवा य देवीओ य समणस्स भगवती महावीरस्स कोतुगभूइकम्माईतित्थगराभिसेयं च करिसु। 1. गर्भ प्रणीते देवक्या रोहिणी योगनिद्रया। अहो विस्र सितो गर्भ इति पोरा विजुक्र श॥ 15 // -भागवत स्कंध 10 10 122-123 2. कल्पसूत्र (देवेन्द्र मुनि सम्पदित) में वणित घटना। 3. तुलना करिए-सा गं रयणी बहहिं देवेहि या देवीहिय उपयंतेहि य उप्पयते हि य उपिजलमाणभूया कहकहभूया यावि होत्था। --कल्पसूत्र सूत्र 64 / 4. 'देवसंणिवाते' के बदले पाठ है देवसंणिवातेण, 'देसंणिवातेण ते देव।' 5. 'पसता' के बदले 'पसुता' और 'पसत्ता' पाठान्तर हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org