________________ प्रथम अध्ययन : छठा उद्देशक : सूत्र 356 (6) सचित्त क्षार (खारी या नौनी मिट्टी) / (7) हड़ताल। (8) हींगलू। (6) मेनसिल। (10) अंजन / (11) नमक। (12) गेरू (लाल मिट्टी। (13) पीली मिट्टी। (14) खड़िया मिट्टी। (15) सौराष्ट्रिका' (सौराष्ट्र में पायी जाने वाली एक प्रकार की मिट्टी, जिसे 'गोपी चंदन' भी कहते है। (16) तत्काल पीसा हुआ बिना छना आटा।१० (17) चावलों के छिलके / 11 (18) गीली वनस्पति का चूर्ण या फलों के बारीक टुकड़े। इनमें पुरःकर्म, पश्चात्कम, उदका और सस्निग्ध ये चार अप्काय से सम्बन्धित हैं। पिष्ट, कुक्कुस और उक्कुट्ठ-ये तीन वनस्पतिकाय से सम्बन्धित हैं और शेष ग्यारह पृथ्वीकाय से सम्बन्धित हैं। " दशवकालिक सूत्र में ‘एवं' और 'बोधव्य' ? ये दो पद संग्रहगाथाओं के सूचक हैं / चूर्णिकार ने चूर्णि में इसके पूर्वोक्त 'उदउल्लं' (उदका) से लेकर 'उक्कुटठं' तक संसृष्ट योग्य सत्तरह सचित्त पदार्थों को लेकर सत्तरह गाथाएं दी हैं / 6 (क) उसो नाम पंसुखारो -जिन० चू० पृ० 176 (ख) उसो लवणपंसू -अगस्त्य० चू० पृ० 106 7 वण्णिया पोयमट्टिया, वणिका पीली मिट्टी -जिन चू० पृ० 176 8 सेडिया-सेटिका-खटिका खड़िया मिट्टी -टीका पत्र 341 से है सोरठिया= सौराष्ट्रयाढको तुवरी पपर्टो कालिका सती। सुजाता देशभाषायां गोपीचन्दनमूच्यते // - शालिग्राम निघन्टु 1064 10 आमपिटठं आमलोट्टो सो अस्पिधणो पोरिसिमित्तण परिणमइ बहइंधणो आरतो परिणमइ / --जि० चू० पृ० 176 11 कुक्कुसा= चाउलत्तया (चावलों के छिलके) -जिनदास चूणि पृ० 176 12. उक्कुट्ठो णाम सचिस्त वणस्सति पत्र कुरफलाणि वा उदूखले छुम्भति, तेहि हत्थो लिसा...। -निशीथ. मा० मा. 148 चू० / 13. निशीथ भाष्य चणि गा० / 14. (क) एवं उदओल्ले ससिमि, ससरक्खे मट्टिया ऊसे। हरियाले हिंगुलए, मणोसिला अंजणे लोणे // 33 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org