________________ सूत्रांक पृष्ठ 110-112 112-118 121-124 124-132 132-137 137-142 145-147 148-149 149-152 125-126 मित्र-अमित्र-विवेक 127 सत्य में समुत्थान चतुर्थ उद्देशक 128-131 कषाय-विजय सम्यक्त्व : चतुर्थ अध्ययन (4 उद्देशक) पृष्ठ 121 से 142 प्रथम उद्देशक 132-136 सम्यगवाद : अहिंसा के सन्दर्भ में द्वितीय उद्देशक 137-139 सम्यग्ज्ञान : प्रास्त्रव-परिस्रव चर्चा तृतीय उद्देशक 140-172 सम्यक तप : दुःख एवं कर्मक्षय विधि चतुर्थ उद्देशक सम्यक्चारित्र : साधना के सन्दर्भ में लोकसार : पंचम अध्ययन (6 उद्देशक) पृष्ठ 145 से 189 प्रथम उद्देशक 147-148 काम : कारण और निवारण 149 संसार-स्वरूप-परिज्ञान 150-151 प्रारम्भ-कषाय-पद द्वितीय उद्देशक 152-153 अप्रमाद का पथ 154-156 परिग्रहत्याग की प्रेरणा तृतीय उद्देशक मुनि-धर्म की प्रेरणा तीन प्रकार के साधक 159-160 अन्तरलोक का युद्ध सम्यक्त्व-मुनित्व की एकता चतुर्थ उद्देशक 162 चर्याविवेक 163 कर्म का बंध और मुक्ति 164-165 ब्रह्मचर्य-विवेक पंचम उद्देशक प्राचार्य महिमा 167-168 सत्य में दृढ़ श्रद्धा सम्यक्-असम्यक् विवेक 170 अहिंसा की व्यापक दृष्टि आत्मा ही विज्ञाता षष्ठ उद्देशक 172-173 प्राज्ञा-निर्देश 152-156 156-159 161-163 163-165 166-171 171-172 172-175 176-177 177-179 179-181 181-182 182-183 183-186 [45 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org