________________ षष्ठ अध्ययन : प्राथमिक * धूत अध्ययन के पांच उद्देशक हैं / प्रत्येक उद्देशक में भावधूत के विभिन्न पहलुमों को लेकर सूत्रों का चयन-संकलन किया गया है। V स्वजन-परित्यागरूप प्रथम उद्देशक में धूत का निरूपण है। द्वितीय उद्देशक में संग-परित्यागरूप धूत का वर्णन है। तीसरे उद्देशक में उपकरण, शरीर एवं परति के धूनन (त्याग) का प्रतिपादन है। न चौथे उद्देशक में अहंता (त्रिविध गोरव) त्याग, एवं संयम में पराक्रम-धूत का वर्णन हैम. पांचवे उद्देशक में तितिक्षा, धर्माख्यान एवं कषाय-परित्यागरूप धूत का सांगोपांग उपदेश है।' * इस अध्ययन की सूत्र संख्या 177 से प्रारम्भ होकर सूत्र 198 पर समाप्त है। . 1. प्राचारांगनियुक्ति मा० 249-250, प्राचा० शीला, टीका पृ 21 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org