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________________ प्रकाशकीय सर्वतोभद्र स्वर्गीय महामहिम युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म.सा. के मानस में एक विचार समुत्पन्न हुआ कि अर्थ गंभीर वीतराग वाणी के प्रस्ताव आगम शुद्ध मूल पाठ एवं विशिष्ट पदों की विराट व्याख्या सहित प्रकाशन हों तो जनसाधारण एवं स्वाध्याय प्रेमी जिज्ञासुजनों को स्वाध्याय करने में सुविधा होगी। विचार को कार्य रूप में परिणत करने के लिए चिंतन मनन एवं परामर्श करने के पश्चात् श्री आगम प्रकाशन समिति के माध्यम से आगम प्रकाशन का कार्य प्रारम्भ किया गया। यथाक्रम जैसे-जैसे ग्रंथ प्रकाशन का क्षेत्र वृद्धिंगत होता गया। ग्रंथगत वर्णन शैली से पाठकगण परिचित होते गए, पाठकों की संख्या में दिनानुदिन वृद्धि होती गई। अतः प्रथम और द्वितीय संस्करणों के अनुपलब्ध होते जाने और जिज्ञासु बंधुओं की आगम बत्तीसी के सभी ग्रंथों की मांग पूर्ववत् बनी रहने से समिति को तृतीय संस्करण प्रकाशित करने के लिए तत्पर होना पड़ा है। आगम बत्तीसी के सभी ग्रंथों के तृतीय संस्करण प्रकाशित होने का क्रम चालू है। इसी क्रम में अनुयोगद्वारसूत्र का अपना विशिष्ट स्थान है। इसमें प्रतिपादित विषय अन्य आगमों में प्रसूषित विषय से भिन्न है। अतएव विशिष्ट जिज्ञासुजनों के लिए इसका अध्ययन और मनन विशेष उपयोगी होगा। ___ आगम प्रकाशन जैसे महान् कार्य के प्रति समर्पित होने एवं प्रोत्साहित करने के लिए हम अपने सभी पाठकों के आभारी हैं और गौरव का अनुभव करते हैं कि जिनवाणी के प्रचार-प्रसार में अपने आपको नियोजित कर सके हैं। अंत में समिति की ओर से हम अपने सभी सहयोगियों के प्रति प्रमोदभाव व्यक्त करते हुए पुनः पुनः आभार मानते हैं। सागरमल बैताला अध्यक्ष रतनचन्द मोदी कार्याध्यक्ष सायरमल चोरडिया महामन्त्री ज्ञानचंद बिनायकिया मन्त्री श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान)
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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