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________________ २९४ अनुयोगद्वारसूत्र अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पय० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं । पज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव जह० अंतो० उक्को० तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहत्तूणाई। उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतिकालं ठिती प० ? गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी । सम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तेवन्नं वाससहस्साइं । अपजत्तयसम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतो० । पजत्तयसम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तेवण्णं वाससहस्साइं अंतोमुत्तूणाई। गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी । अपजत्तयगब्भवक्कंतियउरपरिसप्प० जाव गोतमा ! जह० अंतो० उक्को० अंतो० । पजत्तयगब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी अंतोमुहत्तूणा । भुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी । सम्मुच्छिमभुयपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साइं । अपजत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० अंतो०। पज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदिय० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० बायालीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई । गब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी । अपजत्तयगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० अंतोमुहत्तं । पजत्तयगब्भवक्कं तियभुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा । [३८७-३ प्र.] भगवन् ! चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की होती है ? [३८७-३ उ.] गौतम ! सामान्य रूप में जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की होती है। गौतम ! सम्मूछिमचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति चौरासी हजार वर्ष की है। अपर्याप्तक सम्मूछिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण जानना चाहिए। तथा पर्याप्तक सम्मूछिमचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट .
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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