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प्रकार का है—१. द्रव्यसंयोग, २. क्षेत्रसंयोग, ३. कालसंयोग, ४. भावसंयोग ।
विवेचन— यह सूत्र संयोगनिष्पन्ननाम की प्ररूपणा करने की भूमिका रूप है। संयोग अर्थात् दो पदार्थों का आपस में जुड़ना । संयोग की द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव यह चार अपेक्षाएं हो सकती हैं। इसलिए संयोगज नाम के चार भेद कहे गये हैं ।
इन चतुर्विध संयोगनिष्पन्ननामों की व्याख्या आगे की जा रही है।
द्रव्यसंयोगजनाम
अनुयोगद्वारसूत्र
२७३. से किं तं दव्वसंजोगे ?
दव्वसंजोगे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा — सचित्ते १ अचित्ते २ मीसए ३ ।
[२७३ प्र.] भगवन् ! द्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है ?
[२७३ उ.] आयुष्मन् ! द्रव्यसंयोग तीन प्रकार का कहा गया है, यथा—१. सचित्तद्रव्यसंयोग, २. अचित्तद्रव्यसंयोग, ३. मिश्रद्रव्यसंयोग ।
२७४. से किं तं सचित्ते ?
सचित्ते गोहिं गोमिए, महिसीहिं माहिसिए, ऊरणीहिं ऊरणिए, उट्टीहिं उट्टीवाले । से तं सचित्ते ।
[ २७४ प्र.] भगवन् ! सचित्तद्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है ?
[ २७४ उ.] आयुष्मन् ! सचित्तद्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार है—
गाय के संयोग से गोमान् (ग्वाला), महिषी (भैंस) के संयोग से महिषीमान्, मेषियों (भेड़ों) के संयोग से
मेषीमान् और ऊंटनियों के संयोग से उष्ट्रीपाल नाम होना आदि सचित्तद्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम हैं।
२७५. से किं तं अचित्ते ?
अचित्ते छत्तेण - छत्ती, दंडेण दंडी, पडेण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी । से तं अचित्ते ।
[ २७५ प्र.] भगवन् ! अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है ?
[ २७५ उ.] आयुष्मन् ! अचित्त द्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का यह स्वरूप है- -छत्र के संयोग से छत्री, दंड के संयोग से दंडी, पट (कपड़ा) के संयोग से पटी, घट के संयोग से घटी, कट (चटाई) के संयोग से कटी आदि नाम अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम हैं ।
२७६. से किं तं मीसए ?
मीसए हलेणं हालिए, सकडेणं साकडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए । से तं मी । से तं दव्वसंजोगे ।
[ २७६ प्र.] भगवन् ! मिश्रद्रव्यसंयोगजनाम का क्या स्वरूप है ?
[ २७६ उ.] आयुष्मन् ! मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार जानना चाहिए—हल के संयोग