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________________ १८६ अनुयोगद्वारसूत्र जैनाचार्यों की मान्यता भी तो नौ रसों की है, लेकिन उनके नामों में कुछ अन्तर है। उन्होंने इनमें से भयानक रस को अस्वीकार करके 'वीडनक' नामक रस माना और शांत के स्थान पर प्रशांत' शब्द का प्रयोग किया है। इस प्रकार सामान्य से नवरसों की रूपरेखा बताने के बाद अब विस्तारपूर्वक वीर आदि प्रत्येक रस का वर्णन करते हैं। वीररस (२) तत्थ परिच्चायम्मि य १ तव-चरणे २ सत्तुजणविणासे य ३ । अणणुसय-धिति-परक्कमचिण्हो वीरो रसो होइ ॥ ६४॥ वीरो रसो जहा सो णाम महावीरो जो रजं पयहिऊण पव्वइओ । काम-क्कोहमहासत्तुपक्खनिग्घायणं कुणइ ॥६५॥ [२६२-२] इन नव रसों में १. परित्याग करने में गर्व या पश्चात्ताप न होने, २. तपश्चरण में धैर्य और ३. शत्रुओं का विनाश करने में पराक्रम होने रूप लक्षण वाला वीररस है । ६४ वीररस का बोधक उदाहरण इस प्रकार है राज्य-वैभव का परित्याग करके जो दीक्षित हुआ और काम-क्रोध आदि रूप महाशत्रुपक्ष का जिसने विघात किया, वही निश्चय से महावीर है। ६५ . विवेचन- सूत्रकार ने इन दो गाथाओं में से पहली में अननुशय, धृति, पराक्रम आदि वीररस के बोधक चिह्नों का उल्लेख किया है और दूसरी में वीररस के लक्षणों से युक्त व्यक्ति को उदाहरण रूप में प्रस्तुत किया है। शत्रु दो प्रकार के हैं—आन्तरिक (भाव) और बाह्य (द्रव्य) । मोक्ष का प्रतिपादक होने से प्रस्तुत शास्त्र में काम, क्रोध आदि भाव-शत्रुओं को जीतने वाले महापुरुष को वीर कहा है। यही दृष्टि आगे के उदाहरणों के लिए भी जानना चाहिए। श्रृंगाररस (३) सिंगारो नाम रसो रतिसंजोगाभिलाससंजणणो । मंडण - विलास-विब्बोय-हास-लीला-रमणलिंगो ॥६६॥ सिंगारो रस जहा महुरं विलासललियं हिययुम्मादणकरं जुवाणाणं । सामा सदुद्दामं दाएती मेहलादामं ॥ ६७॥ [२६२-३] शृंगाररस रति के कारणभूत साधनों के संयोग की अभिलाषा का जनक है तथा मंडन, विलास, विब्बोक, हास्य-लीला और रमण ये सब शृंगाररस के लक्षण हैं। ६६ श्रृंगाररस का बोधक उदाहरण हैकामचेष्टाओं से मनोहर कोई श्यामा (सोलह वर्ष की तरुणी) क्षुद्र घंटिकाओं से मुखरित होने से मधुर तथा
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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