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________________ नामाधिकारनिरूपण १७७ प्रवृत्ति भी वाग्व्यवहार के अनुरूप ही होती है। सप्तस्वरों के ग्राम और उनकी मूर्च्छनाएँ (६) एतेसि णं सत्तण्हं सराणं तयो गामा पण्णत्ता । तं जहा—सज्जग्गामे १ मज्झिमग्गामे २ गंधारग्गामे ३ । [२६०-६] इन सात स्वरों के तीन ग्राम कहे गये हैं। वे इस प्रकार१. षड्जग्राम, २. मध्यमग्राम, ३. गांधारग्राम। (७) सजग्गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ । तं जहा मंगी कोरव्वीया हरी य रयणी य सारकंता य । छट्ठी य सारसी नाम सुद्धसजा य सत्तमा ॥ ३९॥ [२६०-७] षड्जग्राम की सात मूर्च्छनाएं कही गई हैं। उनके नाम हैं१. मंगी, २. कौरवीया, ३. हरित, ४. रजनी, ५. सारकान्ता, ६. सारसी और ७. शुद्धषड्ज । ३९ (८) मज्झिमग्गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ । तं जहा उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरायसा (ता) । अस्सोकंता य सोवीरा अभीरू भवति सत्तमा ॥ ४०॥ [२६०-८] मध्यमग्राम की सात मूर्च्छनाएं कही हैं। जैसे १. उत्तरमंदा, २. रजनी, ३. उत्तरा, ४. उत्तरायशा अथवा उत्तरायता, ५. अश्वक्रान्ता, ६. सौवीरा, ७. अभिरुद्गता। ४० (९) गंधारग्गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ । तं जहा— नंदी य खुड्डिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा । - उत्तरगंधारा वि य पंचमिया हवइ मुच्छा उ ॥४१॥ सुठुत्तरमायामा सा छट्ठा नियमसो उ णायव्वा । अहउत्तरायता कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ॥ ४२॥ [२६०-९] गांधारग्राम की सात मूर्छनाएं कही गई हैं। उनके नाम ये हैं १. नन्दी, २. क्षुद्रिका, ३. पूरिमा, ४. शुद्धगांधारा, ५. उत्तरगांधारा, ६. सुष्ठतर-आयामा और ७. उत्तरायताकोटिमा। ४१-४२ (इस प्रकार से सात स्वरों के तीन ग्राम और उनकी सात-सात मूर्च्छनाओं के नाम जानने चाहिए।) विवेचन- सूत्रकार ने सप्तस्वरों के तीन ग्राम और प्रत्येक की मूर्च्छनाओं के नाम गिनाये हैं। मूर्छनाओं के समुदाय को ग्राम कहते हैं । वे षड्ज आदि के भेद से तीन प्रकार के हैं। प्रत्येक ग्राम की सातसात मूर्च्छनाएं होने से सब मिलकर इक्कीस हैं । मूर्च्छना अर्थात् गायक का गीत के स्वरों में तल्लीन मूछित सा हो जाना।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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