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विषय औत्पत्तिकी बुद्धि का लक्षण औत्पत्तिकी बुद्धि के उदाहरण वैनयिकी बुद्धि का लक्षण वैनयिकी बुद्धि के उदाहरण कर्मजाबुद्धि: लक्षण और उदाहरण पारिणामिकी बुद्धि का लक्षण पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण श्रुतनिश्रित मतिज्ञान अवग्रह ईहा
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२०० २०१
२०४ २०४ २०५
अवाय
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२०७ २०७ २०८
पृष्ठ विषय ७७. ज्ञाताधर्मकथा ७७ उपासकदशांग १०१ अन्तकृद्दशांग १०१ अनुत्तरौपपातिकदशा १०९ प्रश्नव्याकरण १११ प्रश्नव्याकरण के विषय में दिगंबरमान्यता १११ विपाकसूत्र १३५ दृष्टिवादश्रुत १३६ परिकर्म १४० सिद्धश्रेणिका परिकर्म १४१ मनुष्यश्रेणिका परिकर्म १४१ पृष्ठश्रेणिका परिकर्म
अवगाढश्रेणिका परिकर्म १४४ उपसम्पादनश्रेणिका परिकर्म १४५ विप्रजहत्श्रेणिका परिकर्म १४७ च्युताच्युतश्रेणिका परिकर्म १५१ सूत्र १५३ पूर्व १५५ अनुयोग १५६ चूलिका १५७ दृष्टिवाद का उपसंहार १५९ द्वादशांग का संक्षिप्त सारांश १६२ द्वादशांग श्रुत की विराधना का कुफल १६५ द्वादशांग की आराधना का सुफल १६८ गणिपिटक की शाश्वतता १७१ श्रुतज्ञान के भेद और पठनविधि १७६ व्याख्या करने की विधि १७७ श्रुतज्ञान किसे दिया जाय? १८१ बुद्धि के गुण १८३ श्रवण विधि के प्रकार १८७ सूत्रार्थ व्याख्यान विधि १८९ परिशिष्ट १९१
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धारणा अवग्रह आदि का काल . व्यंजनावग्रह-प्रतिबोधक-दृष्टान्त मल्लकद्दष्टान्त से व्यंजनावग्रह अवग्रहादि के छह उदाहरण मतिज्ञान का विषयवर्णन आभिनिबोधिक ज्ञान का उपसंहार श्रुतान अक्षरश्रुत अनक्षरश्रुत संज्ञि-असंज्ञिश्रुत सम्यक्श्रुत मिथ्याश्रुत सादि सान्त अनादि अनन्तश्रुत गमिक-अगमिक, अंगप्रविष्ट-अंगबाह्यश्रुत अंगप्रविष्ट श्रुत द्वादशांगी गणिपिटक आचारांग के अन्तर्वर्ती विषय सूत्रकृतांग स्थानांग समवायांग व्याख्याप्रज्ञप्ति
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