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________________ मतिज्ञान ] [ १०७ थे । राजकुमारों से उन्होंने पहनने के लिये सूखी धोती माँगी, पर कुमारों ने कह दिया- " शाटिका गीली है ।" इतना ही नहीं, वे हाथ में तृण लेकर बोले- " तृण लम्बा है।" एक और राजकुमार बोला - " पहले कौञ्च सदा प्रदक्षिणा किया करता था, अब वह बाईं ओर घूम रहा है ।" आचार्य ने जब राजकुमारों की ऐसी अटपटी बातें सुनी तो उनका माथा ठनका और उनकी समझ में आ गया कि "मेरे धन के कारण कोई मेरा शत्रु बन गया है और मेरे प्रिय शिष्य मुझे चेतावनी दे रहे हैं । " यह ज्ञान हो जाने पर उन्होंने अपने निश्चित किए हुए समय से पहले ही राजकुमारों से विदा लेकर चुपचाप अपने घर की ओर प्रस्थान कर दिया । यह राजकुमारों की एवं कलाचार्य की वैनयिकी बुद्धि के उत्तम उदाहरण हैं । (१४) नीव्रोदक' एक व्यापारी बहुत समय से विदेश में था । उसकी पत्नी ने वासनापूर्ति के लिये अपनी सेविका द्वारा किसी व्यक्ति को बुलवा लिया। साथ ही एक नाई को भी बुलवा भेजा, जिसने आगत व्यक्ति के नाखून एवं केशादि को संवारा तथा स्नानादि करवाकर शुभ वस्त्र पहनाए । रात्रि के समय जब मूसलाधार पानी बरस रहा था, उस व्यक्ति ने प्यास लगने पर छज्जे से गिरते हुए वर्षा के पानी को ओक से पी लिया। संयोग वश उसी छज्जे के ऊपरी भाग पर एक मृत सर्प का कलेवर था और पानी उस पर से बहता हुआ आ रहा था । जल विष मिश्रित हो गया था और उसे पीते ही दुराचारी पुरुष की मृत्यु हो गयी। यह देखकर वणिक्पत्नी घबराई और सेवकों द्वारा उसी समय मृत व्यक्ति को एक जनशून्य देवकुलिका में डलवा दिया। प्रातःकाल लोगों को मृतक का पता चला तथा राजपुरुषों ने आकर उसकी मृत्यु का कारण खोजना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने देखा कि मृत व्यक्ति के नख व केश तत्काल ही काटे हुए हैं। इस पर शहर के नाइयों को बुलवाकर प्रत्येक से अलग-अलग पूछा गया कि इस व्यक्ति के नाखून और केश किसने काटे हैं? उनमें से एक नाई ने मृतक को पहचानकर बता दिया कि- " मैनें अमुक वणिक् - पत्नी की दासी के बुलाये जाने पर इसके नख व केश काटे थे।" दासी को पकड़ लिया गया। उसने भयभीत होकर सम्पूर्ण घटना का वर्णन कर दिया । यह उदाहरण राजकर्मचारियों की वैनयिकी बुद्धि का उदाहरण है। (१५) बैलों का चुराया जाना, अश्व की मृत्यु तथा वृक्ष से गिरना – एक व्यक्ति अत्यन्त ही पुण्यहीन था । वह जो कुछ भी करता उससे संकट में पड़ जाता था। एक बार उसने अपने मित्र से हल चलाने के लिए बैल मांगे और कार्य समाप्त हो जाने पर उन्हें लौटाने के लिये ले गया । उसका मित्र उस समय खाना खा रहा था । अतः अभागा आदमी बोला तो कुछ नहीं पर उसके सामने ही बैलों को बाड़े में छोड़ आया, यह सोचकर कि वह देख तो रहा ही है । दुर्भाग्यवश बैल किसी प्रकार बाड़े से बाहर निकल गये और उन्हें कोई चुराकर भगा ले गया। बैलों का मालिक बाड़े में अपने बैलों को न देखकर पुण्यहीन के पास जाकर बैलों को माँगने लगा । किन्तु वह बेचारा देता कहाँ से? इस पर क्रोधित होकर उसका मित्र उसे पकड़कर राजा के पास
SR No.003467
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMadhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_nandisutra
File Size17 MB
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