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[नन्दीसूत्र खाए थे।' न्यायाधीश ने धूर्त से भी यही प्रश्न किया और उसने कुछ अन्य खाद्य पदार्थों के नाम बताये। न्यायाधीश ने स्त्री और धूर्त को विरेचन देकर जाँच कराई तो स्त्री के मल में तिल दिखाई दिए, किन्तु धूर्त के नहीं। इस आधार पर न्यायाधीश ने असली पति को उसकी पत्नी सौंप दी तथा धूर्त को उचित दंड देकर अपनी औत्पत्तिकी बुद्धि का परिचय दिया।
(९) गज किसी राजा को एक बुद्धिमान् मंत्री की आवश्यकता थी। अत्यन्त मेधावी एवं औत्पत्तिकी बुद्धि के धनी व्यक्ति की खोज व परीक्षा करने के लिए राजा ने एक बलवान् हाथी को चौराहे पर बाँध दिया और घोषणा करवा दी कि 'जो व्यक्ति इस हाथी को तोल देगा उसे बहुत बड़ी वृत्ति दी जायेगी।'
हाथी का तौल करना साधारण व्यक्ति के वश की बात नहीं थी। धीरे-धीरे लोग वहां से खिसकने लगे। किन्तु कुछ समय पश्चात् एक व्यक्ति वहाँ आया और उसने सरोवर में नाव डलवाकर हाथी को ले जाकर उस पर चढ़ा दिया। हाथी के वजन से नाव पानी में जितनी डूबी, वहाँ पर उस व्यक्ति ने निशान लगा दिया। तत्पश्चात् हाथी को उतारकर नाव में उतने पत्थर भरे, जितने से नाव पर्व चिह्नित स्थान तक डबी। उसके बाद पत्थर निकालकर उन्हें तौल लिया। जितना वजन पत्थरों का हुआ, वही तौल हाथी का है, ऐसा राजा को सूचित कर दिया। राजा ने उस व्यक्ति की विलक्षण बुद्धि की प्रशंसा की तथा उसे अपनी मंत्री-परिषद् का प्रधान बना दिया।
(१०) घयण ( भाँड) किसी राजा के दरबार में एक भाँड रहा करता था। राजा उससे प्रेम किया करता था। वह राजा का मुँहलगा हो गया था। राजा सदैव उसके समक्ष अपनी महारानी की प्रशंसा किया करता था और कहता था कि वह बड़ी ही आज्ञाकारिणी है। किन्तु एक दिन भाँड ने कह दिया 'महाराज! रानी स्वार्थवश ऐसा करती है। विश्वास न हो तो परीक्षा करके देख लीजिए।'
राजा ने भाँड़ के कथनानुसार एक दिन रानी से कहा—'देवी! मेरी इच्छा है कि मैं दूसरी शादी कर लूँ और उस रानी के गर्भ से जो पुत्र उत्पन्न हो उसे राज्य का उत्तराधिकारी बनाऊँ।' रानी ने उत्तर दिया—'महाराज! दूसरा विवाह आप भले ही कर लें किन्तु राज्याधिकारी तो परम्परा के अनुसार पहला राजकुमार ही हो सकता है।' राजा भाँड़ की बात को ठीक समझकर हँस पड़ा। रानी ने हँसने का कारण पूछा तो राजा ने भाँड़ की बात कह दी। रानी को यह जानकर बड़ा क्रोध आया। उसने उसी समय राजा के द्वारा भाँड़ को देश-निकाले की आज्ञा दिलवा दी।
देश-परित्याग की आज्ञा में रानी का हाथ जानकर भाँड़ ने बहुत से जूतों की एक गठरी बाँधी और उससे मस्तक पर रखकर रानी के दर्शनार्थ उनके भवन पर जा पहुँचा। रानी ने आश्चर्य पूर्वक पूछा-'सिर पर यह क्या उठा रखा है?' भाँड़ ने उत्तर दिया—'महारानी जी! इस गठरी में जूतों के जोड़े हैं। इनको पहन कर जिन-जिन देशों में जा सकूँगा, उन-उन देशों तक आपका अपयश फैला दूंगा।'
भाँड़ की यह बात सुनकर रानी घबरा गई और देश-परित्याग के आदेश को वापिस ले लिया