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________________ ६४० उत्तराध्ययनसूत्र करे। बारहवें वर्ष में तो लगातार ही आयम्बिल करे, जो कि कोटिसहित हों। तत्पश्चात् एक मास या पन्द्रह दिन पहले से ही भक्तप्रत्याख्यान (चतुर्विध आहार त्याग-संथारा) करे अर्थात् अन्त में आरम्भादि त्याग कर सबसे क्षमायाचना कर अन्तिम आराधना करे। मरणविराधना- मरणआराधना : भावनाएँ २५६. कन्दप्पमाभिओगं किब्बिसियं मोहमासुरत्तं च। एयाओ दुग्गईओ मरणम्मि विराहिया होन्ति॥ [२५६] कान्दी, आभियोगी, किल्विषिकी, मोही और आसुरी भावनाएँ दुर्गति में ले जाने वाली हैं। मृत्यु के समय में ये संयम की विराधना करती हैं। २५७. मिच्छादसणरत्ता सनियाणा हु हिंसगा। इय जे मरन्ति जीवा तेसिं पुण दुल्लहा बोही॥ [२५७] जो जीव (अन्तिम समय में) मिथ्यादर्शन में अनुरक्त निदान से युक्त और हिंसक होकर मरते हैं, उन्हें बोधि बहुत दुर्लभ होती है। २५८. सम्मइंसणरत्ता अनियाणा सुक्कलेसमोगाढा। इय जे मरन्ति जीवा सुलहा तेसिं भवे बोही॥ [२५८] (अन्तिम समय में) जो जीव सम्यग्दर्शन में अनुरक्त, निदान से रहित और शुक्ललेश्या में अवगाढ (प्रविष्ट) होकर मरते हैं, उन्हें बोधि सुलभ होती है। २५९. मिच्छादसणरत्ता सनियाणा कण्हलेसमोगाढा। इय जे मरन्ति जीवा तेसिं पुण दुल्लहा बोही॥ [२५९] जो जीव ( अन्तिम समय में) मिथ्यादर्शन में अनुरक्त, निदान-सहित और कृष्णलेश्या में अवगाढ (प्रविष्ट) होकर मरते हैं, उन्हें बोधि बहुत दुर्लभ होती है। २६०. जिणवयणे अणुरत्ता जिणवयणं जे करेन्ति भावेण। अमला असंकिलिट्ठा ते होन्ति परित्तसंसारी॥ [२६०] जो (अन्तिम समय तक) जिनवचन में अनुरक्त हैं और जिनवचनों का भावपूर्वक आचरण करते हैं; वे निर्मल और रागादि से असंक्लिष्ट होकर परीत-संसारी (परिमित संसार वाले ) होते हैं। २६१. बालमरणाणि बहुसो अकाममरणाणि चेव य बहूणि। मरिहिन्ति ते वराया जिणवयणं जे न जाणन्ति॥ [२६१] जो जीव जिनवचनों से अनभिज्ञ हैं, वे बेचारे अनेक बार बाल-मरण तथा अनेक बार अकाममरण से मरते हैं— मरेंगे। २६२. बहूआगमविनाणा समाहिउप्पायगा गुणगाही। एएण कारणेणं अरिहा आलोयणं सोउं॥ १. उत्तरा. प्रियदर्शिनीटीका, भा. ४ पृ. ९४०-९४२
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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