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________________ ६०० उत्तराध्ययनसूत्र ३४. फासओ कक्खडे जे उ भइए से उ वण्णओ। ___ गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य॥ [३४] जो पुद्गल स्पर्श से कर्कश है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ३५. फासओ मउए जे उ भइए से उ वण्णओ। __ गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य।। [३५] जो पुद्गल स्पर्श से मृदु है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ३६. फासओ गुरुए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य।। [३६] जो पुद्गल स्पर्श से गुरु है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ३७. फासओ लहुए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य।। [३७] जो पुद्गल स्पर्श से लघु है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ३८. फासओ सीयए जे उ भइए से उ वण्णओ। ___ गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य।। [३८] जो पुद्गल स्पर्श से शीत है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ३९. फासओ उण्हए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य।। [३९] जो पुद्गल स्पर्श से उष्ण है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ४०. फासओ निद्धए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य॥ [४०] जो पुद्गल स्पर्श से स्निग्ध है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ४१. फासओ लुक्खए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य।। [४१] जो पुद्गल स्पर्श से रूक्ष है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ४२. परिमण्डलसंठाणे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य॥ [४२] जो पुद्गल संस्थान से परिमण्डल है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। ४३. संठाणओ भवे वट्टे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य।। [४३] जो पुद्गल संस्थान से वृत्त है, वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है।
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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