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________________ उत्तराध्ययनसूत्र इच्छाकाम और लोभ का तात्पर्य — इच्छारूप काम का अर्थ है—अप्राप्त वस्तु की कांक्षा, और लाभ का अर्थ है - लब्धवस्तुविषयक गृद्धि । अनगार का निवास और गृहकर्मसमारम्भ ५८८ ४. मणोहरं चित्तहरं मल्लधूवेण वासियं । सकवाडं पण्डुरुल्लोयं मणसा वि न पत्थए ॥ [४] मनोहर, चित्रों से युक्त, माल्य और धूप से सुवासित किवाड़ों सहित, श्वेत चंदोवा से युक्त स्थान की मन से भी प्रार्थना (अभिलाषा) न करे । ५. इन्दियाणि उभिक्खुस्स तारिसम्मि उवस्सए । दुक्कराई निवारेउं कामरागविव ॥ [५] (क्योंकि) कामराग को बढ़ाने वाले, वैसे उपाश्रय में भिक्षु के लिए इन्द्रियों का निरोध करना दुष्कर है। ६. सुसाणे सुन्नगारे वा रुक्खमूले व एगओ । परिक्के परकडे वा वासं तथऽभिरोयए ॥ [६] अत: एकाकी भिक्षु श्मशान में, शून्यगृह में, वृक्ष के नीचे (मूल में) परकृत (दूसरों के लिए या पर के द्वारा बनाए गए) प्रतिरिक्त (एकान्त या खाली ) स्थान में निवास करने की अभिरुचि रखे । फासूयम्मि अणाबाहे इत्थीहिं अणभिदुए। तत्थ संकप्पए वासं भिक्खू परमसंजए ॥ ७. [७] परमसंयत भिक्षु प्रासुक, अनाबाध, स्त्रियों के उपद्रव से रहित स्थान में रहने का संकल्प करे । न स गिहाई कुज्जा व अन्नेहिं कारए । गिहकम्मसमारम्भे भूयाणं दीसई वहो ॥ ८. [८] भिक्षु न स्वयं घर बनाए और न दूसरों से बनवाए (क्योंकि) गृहकर्म के समारम्भ में प्राणियों का वध देखा जाता है । ९. तसाणं थावराणं च सुहुमाण बायराण य । तम्हा गिहसमारम्भं संजओ परिवज्जए ॥ [९] त्रस और स्थावर, सूक्ष्म और बादर (स्थूल) जीवों का वध होता है, इसलिए संयत मुनि गृहकर्म के समारम्भ का परित्याग करे । विवेचन—अनगार के निवास के लिए अनुपयुक्त स्थान ये हैं- (१) मनोहर तथा चित्रों से युक्त, (२) माला और धूप के सुगन्धित (३) कपाटों वाले तथा (४) श्वेत चन्दोवा से युक्त स्थान, (५) कामरागविवर्द्धक। योग्यस्थान हैं— (१) श्मशान, (२) शून्य गृह, (३) वृक्षतल, (४) परनिर्मित गृह आदि जो विविक्त एवं रिक्त हो, प्रासुक (जीवजन्तुरहित) हो, स्व-पर के लिए निराबाध, और स्त्री- पशु - नपुंसकादि १. बृहद्वृत्ति, अ. रा. कोष भा. १, पृ. २८०
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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