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समिति अध्यात्मयोगिनी विदुषी महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' की कृतज्ञ है। आपने मार्ग-दर्शन और युवाचार्यश्री के रिक्त स्थान की पूर्ति कर कार्य को पूर्ण करने की प्ररेणा दी। पद्मश्री मोहनमलजी सा. चोरडिया, श्री चिम्मनसिंहजी लोढ़ा, श्री पुखराजजी शिशोदिया, श्री चांदमलजी बिनायकिया, पण्डित श्री शोभाचन्द्रजी भारिल्ल आदि एवं अन्यान्य उन अज्ञात कर्मठ सहयोगियों का, जो अब हमारे बीच नहीं हैं, स्मरण कर श्रद्धांजलि समर्पित करती है।
यह सूचित करते हुए प्रसन्नता है कि आगमबत्तीसी के अब तक चार संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। छेद-सूत्रों के दो संस्करण प्रकाशित हुए हैं। सम्पूर्ण आगमबत्तीसी के इन संस्करणों के संशोधन में वैदिक यंत्रालय, अजमेर के पूर्व प्रबन्धक श्री सतीशचन्द्र शुक्ल का प्रारम्भ से ही महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा है।
अन्त में, समिति अपने सहयोगी परिवार के प्रत्येक सदस्य को धन्यवाद देती है। इनके सहकार से जैन वाङ्मय की चतुर्दिक-चतुर्गुणित श्रीवृद्धि कर सकी है। हम तो इनके मार्गदर्शन में सामान्य कार्यवाहक की भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं।
सागरमल बैताला
अध्यक्ष
रतनचंद मोदी देवराज चोरडिया कार्यवाहक अध्यक्ष महामंत्री
श्री आगम प्रकाशन-समिति, ब्यावर
ज्ञानचन्द बिनायकिया
मंत्री