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________________ उपसंहार इस प्रकार प्रस्तुत आगम में भगवान् महावीर की जीवनी विस्तार से आठवीं दशा में मिलती I चित्तसमाधि एवं धर्मचिन्ता का सुन्दर वर्णन । उपासकप्रतिमाओं व भिक्षुप्रतिमाओं के भेद-प्रभेदों का भी वर्णन है। बृहत्कल्प बृहत्कल्प का छेदसूत्रों में गौरवपूर्ण स्थान है । अन्य छेदसूत्रों की तरह इस सूत्र में भी श्रमणों के आचार-विषयक विधि-निषेध, उत्सर्ग-अपवाद, तप, प्रायश्चित्त आदि का चिन्तन किया गया है। इसमें छह उद्देशक हैं, ८१ अधिकार हैं, ४७३ श्लोकप्रमाण उपलब्ध मूलपाठ है । २०६ सूत्रसंख्या है। प्रथम उद्देशक में ५० सूत्र हैं। पहले के पांच सूत्र तालप्रलंब विषयक हैं। निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों के लिए ताल एवं प्रलंब ग्रहण करने का निषेध है। इसमें अखण्ड एवं अपक्व तालफल व तालमूल ग्रहण नहीं करना चाहिए किन्तु विदारित, पक्व ताल प्रबंल लेना कल्प्य है, ऐसा प्रतिपादित किया गया है, आदि-आदि । मासकल्प विषयक नियम में श्रमणों के ऋतुबद्धकाल - हेमन्त और ग्रीष्म ऋतु के ८ महिनों में एक स्थान पर रहने के अधिकतम समय का विधान किया है। श्रमणों को सपरिक्षेप अर्थात् सप्राचीर एवं प्राचीर से बाहर निम्नोक्त १६ प्रकार के स्थानों में वर्षाऋतु के अतिरिक्त अन्य समय में एक साथ एक मास से अधिक ठहरना नहीं कल्पता । १. ग्राम २. नगर ३. खेट ४. कर्बट ५. मडम्ब ६. पत्तन ७. आकर ८. द्रोणमुख ९. निगम १०. राजधानी ११. आश्रम १२. निवेश सन्निवेश १३. सम्बाध - संबाह ( जहां राज्य की ओर से १८ प्रकार के कर लिये जाते हों) (जहां १८ प्रकार के कर न लिए जाते हों) (जिसके चारों ओर मिट्टी की दीवार हो) (जहां कम लोग रहते हों) (जिसके बाद ढाई कोस तक कोई गाँव न हो) (जहां सब वस्तुएं उपलब्ध हों) (जहां सब वस्तुएं उपलब्ध हों) (जहां जल और स्थल को मिलाने वाला मार्ग हो, जहां समुद्री माल आकर उतरता हो) (जहां व्यापारियों की वसति हो) (जहां राजा के रहने के महल आदि हों) (जहां तपस्वी आदि रहते हों) (जहां सार्थवाह आकर उतरते हों) (जहां कृषक रहते हों अथवा अन्य गांव के लोग अपने गांव से धन आदि की रक्षा के निमित्त पर्वत, गुफा आदि में आकर ठहरे हुए हों) ४९
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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